रिटायर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से 'Acquiescence' या 'Delay' जैसे कानूनी शब्दों की समझ की अपेक्षा नहीं की जा सकती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पेंशन न देने का आदेश किया रद्द

Amir Ahmad

13 Sept 2025 1:46 PM IST

  • रिटायर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से Acquiescence या Delay जैसे कानूनी शब्दों की समझ की अपेक्षा नहीं की जा सकती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पेंशन न देने का आदेश किया रद्द

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी बेलदार कर्मचारी की पेंशन अस्वीकृति खारिज करते हुए कहा कि केवल देरी के आधार पर पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी तकनीकी कानूनी अवधारणाओं जैसे “Acquiescence” या “Laches” को नहीं समझ सकता और पेंशन सतत अधिकार है, जिसे देरी के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस संदीप शर्मा ने राज्य सरकार की आपत्ति अस्वीकार करते हुए टिप्पणी की,

    “याचिकाकर्ता जैसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह Acquiescence का अर्थ जानता हो। ऐसे में देरी और Laches की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती, विशेषकर जब पेंशन एक निरंतर उत्पन्न होने वाला अधिकार है।”

    मामला

    याचिकाकर्ता को वर्ष 1983 में जिला मंडी हिमाचल प्रदेश के एक्टिंग इंजीनियर कार्यालय में दैनिक वेतन बेलदार के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी सेवाएं 11 वर्षों के बाद 1994 में नियमित की गईं और उन्होंने 2000 में सात वर्ष की नियमित सेवा पूरी करने के बाद रिटायरमेंट ली।

    बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र सिंह बनाम राज्य हिमाचल प्रदेश मामले में यह स्पष्ट किया कि चतुर्थ श्रेणी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवाओं को पेंशन के लिए गिना जाएगा। निर्णय के अनुसार, पांच वर्ष की दैनिक वेतन सेवा को एक वर्ष की नियमित सेवा माना जाएगा। यदि कुल सेवा आठ वर्ष से अधिक लेकिन दस वर्ष से कम हो तो उसे दस वर्ष मानकर पेंशन पात्रता दी जाएगी। इस सिद्धांत की पुष्टि बालो देवी बनाम राज्य हिमाचल प्रदेश (2022) में भी की गई।

    इस आधार पर याचिकाकर्ता की सात वर्ष की नियमित सेवा और दैनिक वेतन अवधि से जुड़ी दो वर्ष की सेवा मिलाकर कुल सेवा दस वर्ष मानी जानी चाहिए, जिससे वह पेंशन के योग्य हो जाते हैं।

    राज्य की दलील और अदालत का रुख

    राज्य ने पेंशन अस्वीकृत करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने 2024 में पहली बार दावा प्रस्तुत किया और “फेंस सिटर को राहत नहीं दी जा सकती।

    अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से इतनी कानूनी जटिलताओं को समझने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। साथ ही यह भी उल्लेख किया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर सभी विभागों को निर्देश दिए थे। फिर भी सरकार ने इसका पालन नहीं किया और अधिकांश दैनिक वेतनभोगियों को राहत के लिए अदालत का रुख करना पड़ा।

    आदेश

    हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए राज्य को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को पेंशन का लाभ प्रदान किया जाए। साथ ही अनुपालन की स्थिति की जांच के लिए मामले को 27 अक्टूबर, 2025 की तारीख पर सूचीबद्ध किया गया।

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