तीन महीने और उससे अधिक की अवधि के लिए प्रदान की गई सेवा को कुल सेवा अवधि की गणना के उद्देश्य से एक आधा वर्ष माना जाएगा: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
Amir Ahmad
8 April 2024 1:52 PM IST
हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ की खंडपीठ ने यूको बैंक और अन्य बनाम चमन सिंह के मामले में लेटर्स पेटेंट अपील का फैसला करते हुए माना कि किसी कर्मचारी द्वारा तीन महीने और उससे अधिक की अवधि के लिए प्रदान की गई सेवा को कुल सेवा अवधि की गणना के उद्देश्य से एक आधा वर्ष (6 महीने) माना जाएगा।
पृष्ठभूमि तथ्य
चमन सिंह (प्रतिवादी) ने यूको बैंक (अपीलकर्ता) के लिए 9 वर्ष और 10 महीने की सेवा प्रदान की। यूको बैंक (कर्मचारी) पेंशन विनियमन 1995 के नियम 14 में पेंशन के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए किसी कर्मचारी के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा प्रदान करने की शर्त निर्धारित की गई। साथ ही विनियमन के नियम 18 में प्रावधान है कि यदि सेवा अवधि छह महीने से अधिक है तो इसे एक वर्ष माना जाएगा। लेकिन इस नियम के प्रावधान में कहा गया है कि किसी कर्मचारी को पेंशन के लिए पात्र बनाने के लिए आवश्यक कुल सेवा अवधि की गणना के लिए नियम 18 लागू नहीं होगा।
अपीलकर्ता ने प्रतिवादी को पेंशन लाभ देने से इस आधार पर इनकार किया कि प्रतिवादी 10 वर्ष की सेवा की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा नहीं करता। इससे व्यथित होकर प्रतिवादी ने रिट याचिका दायर की।
सिंगल जज ने माना कि प्रतिवादी ने नियम 14 में निर्धारित पेंशन के लिए पात्र होने के लिए आवश्यक 10 वर्ष की अर्हता प्राप्त सेवा को पूरा किया। तदनुसार, रिट याचिका को अनुमति दी गई और अपीलकर्ता-बैंक को प्रतिवादी को देय पेंशन बकाया जारी करने का निर्देश दिया गया। इससे व्यथित होकर अपीलकर्ता बैंक ने लेटर्स पेटेंट अपील दायर की।
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि नियम 18 का प्रावधान प्रतिवादी के 9 वर्ष और 10 महीने की सेवा अवधि को 10 वर्ष के रूप में गिनने के अधिकार को छीन लेता है, जो पेंशन के लिए आवश्यक है। दूसरी ओर, प्रतिवादी ने तर्क दिया कि उसने नियम 18 के अनुसार 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली और वह पेंशन के लिए पात्र है।
न्यायालय के निष्कर्ष
न्यायालय ने पाया कि नियम 18 के अनुसार यदि किसी दिए गए मामले में दी गई सेवा 6 महीने से अधिक है तो उसे 1 पूर्ण वर्ष माना जाना चाहिए। प्रतिवादी ने 9 वर्ष और 10 महीने की सेवा प्रदान की, इसलिए 10 महीने की सेवा को 1 पूर्ण वर्ष माना जाना चाहिए।
न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य बनाम बचित्तर सिंह के मामले पर भरोसा किया, जिसमें हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने सीसीएस (पेंशन) नियमों के नियम 49 (3) की व्याख्या की। इसमें कहा गया कि तीन महीने और उससे अधिक की सेवा अवधि को आधा वर्ष माना जाएगा।
न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी जिसने 9 वर्ष और 10 महीने की सेवा प्रदान की, पेंशन लाभ के लिए योग्य है, क्योंकि 10 महीने की सेवा में से एक आधा वर्ष (6 महीने) था और शेष 4 महीने भी सीसीएस नियमों के अनुसार एक और आधा वर्ष माना जाना है, जो कुल मिलाकर सेवा का एक वर्ष पूरा करता है। इसलिए न्यायालय ने माना कि प्रतिवादी द्वारा की गई सेवा को उसकी रिटायरमेंट की तिथि पर 10 वर्ष माना जाना चाहिए।
न्यायालय ने अपीलकर्ता के तर्क को भी खारिज कर दिया और माना कि प्रावधान मूल प्रावधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को नहीं छीन सकता। न्यायालय ने रोहिताश कुमार एवं अन्य बनाम ओम प्रकाश शर्मा एवं अन्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि प्रावधान की व्याख्या इस तरह से नहीं की जा सकती है कि वह प्रावधान को निरस्त कर दे या कानून द्वारा प्रदत्त अधिकार को छीन ले।
न्यायालय ने माना कि प्रतिवादी पेंशन के लिए योग्य है, क्योंकि नियम 18 के अनुसार उसकी कुल सेवा 10 वर्ष हो गई।
उपरोक्त टिप्पणियों के साथ लेटर्स पेटेंट अपील खारिज कर दी गई।
केस टाइटल- यूको बैंक और अन्य बनाम चमन सिंह