जाति प्रमाण पत्र किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए OBC स्थिति को प्रमाणित करता है तो उस पर छपी वैधता अवधि अप्रासंगिक: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
Amir Ahmad
29 July 2025 3:23 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने यह निर्णय दिया कि किसी जाति प्रमाण पत्र पर यदि किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए आवेदक की ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) स्थिति को प्रमाणित किया गया है तो प्रमाण पत्र के शीर्ष पर प्रिंट की गई वैधता अवधि की जानकारी अप्रासंगिक मानी जाएगी।
जस्टिस ज्योत्सना रिवाल दूआ ने कहा कि किसी प्रमाण पत्र में जो तथ्य प्रमाणित किए गए हैं, वही महत्वपूर्ण होते हैं। यदि प्रमाण पत्र किसी निश्चित अवधि के लिए ओबीसी दर्जे की पुष्टि करता है और यह अवधि प्रमाण पत्र के ऊपर प्रिंट की गई सामान्य वैधता अवधि से भिन्न है तो प्रमाण पत्र में दी गई वास्तविक प्रमाणन अवधि को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस मामले में याचिकाकर्ता रशम राज ने लैब तकनीशियन के पद के लिए आवेदन किया था। कुल 36 पदों में से 5 पद हिमाचल प्रदेश के ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित थे। आरक्षण का लाभ उठाने के लिए यह आवश्यक था कि आवेदक ऐसा वैध ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करे जो विज्ञापन में निर्दिष्ट अवधि अर्थात् पूरे वित्तीय वर्ष के लिए वैध हो।
याचिकाकर्ता ने ऐसा प्रमाण पत्र प्रस्तुत भी किया, जिसमें उसके ओबीसी दर्जे की पुष्टि उस पूरे वित्तीय वर्ष के लिए की गई थी। लेकिन संबंधित अधिकारियों ने प्रमाण पत्र के शीर्ष पर छपे एक सामान्य वाक्य जारी होने की तिथि से एक वर्ष तक मान्य के आधार पर यह कहते हुए उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दी कि प्रमाण पत्र विज्ञप्ति में मांगी गई पूरी अवधि के लिए वैध नहीं है।
कोर्ट ने इस पर स्पष्ट रूप से कहा कि अधिकारियों ने प्रमाण पत्र की गलत व्याख्या की। उन्होंने केवल ऊपर छपी वैधता अवधि को पढ़ा और उस दस्तावेज़ के मुख्य भाग में दी गई वास्तविक अवधि की उपेक्षा कर दी, जिसमें स्पष्ट रूप से प्रमाणित किया गया था कि याचिकाकर्ता संबंधित वित्तीय वर्ष के लिए ओबीसी वर्ग से संबंध रखता है।
सुप्रीम कोर्ट के Shri Nashik Panchavati Panjarpol Trust बनाम The Chairman के 2023 के निर्णय का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि किसी दस्तावेज़ को उसकी पूर्णता में पढ़ा जाना चाहिए, न कि उसके किसी एक हिस्से को अलग कर के।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को खारिज किए जाने को अनुचित ठहराया और उसे नियुक्ति देने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।
अदालत ने माना कि केवल एक सामान्य, औपचारिक टिप्पणी के आधार पर, जो प्रमाण पत्र के शीर्ष पर छपी थी, किसी योग्य अभ्यर्थी को नियुक्ति से वंचित करना कानून और न्याय दोनों के विरुद्ध है।
टाइटल : रशम राज बनाम राज्य हिमाचल प्रदेश एवं अन्य

