धारा 91 CrPc जांच एजेंसी को बैंक अकाउंट के डेबिट फ्रीज का आदेश देने का अधिकार नहीं देती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Amir Ahmad

13 Sep 2024 11:37 AM GMT

  • धारा 91 CrPc जांच एजेंसी को बैंक अकाउंट के डेबिट फ्रीज का आदेश देने का अधिकार नहीं देती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने साइबर सेल, कुल्लू द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 91 के तहत जारी नोटिस रद्द कर दिया, जिसमें ICICI बैंक को कथित साइबर धोखाधड़ी के संबंध में कंपनी के बैंक अकाउंट फ्रीज करने का निर्देश दिया गया था।

    जस्टिस संदीप शर्मा की पीठ ने माना कि धारा 91 CrPc के तहत दी गई शक्तियां जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज़ या चीज़ें पेश करने तक सीमित हैं और बैंक अकाउंट फ्रीज करने तक विस्तारित नहीं हैं।

    जस्टिस शर्मा ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,

    "धारा 91 CrPc जांच अधिकारी को जांच पूछताछ, ट्रायल या अन्य कार्यवाही के उद्देश्य से आवश्यक या वांछनीय समझे जाने वाले किसी भी दस्तावेज या अन्य चीज को प्रस्तुत करने का अधिकार देती है। हालांकि, यह जांच अधिकारी को बैंक अकाउंट फ्रीज करने का आदेश देने के लिए अधिकृत नहीं करती।"

    अदालत ने आगे कहा कि ऐसी कार्रवाई केवल धारा 102 सीआरपीसी के तहत की जा सकती है, जो बैंक अकाउंट सहित संपत्ति की जब्ती को नियंत्रित करती है और मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है l एक ऐसा कदम, जो इस मामले में नहीं उठाया गया।

    यह मामला तब सामने आया, जब याचिकाकर्ता एरोनफ्लाई इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ने साइबर सेल, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश द्वारा अपने बैंक अकाउंट फ्रीज करने को चुनौती दी। एक व्यक्ति द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद फ्रीज की कार्रवाई की गई, जिसने दावा किया कि उसके अकाउंट से 10,000 रुपये धोखाधड़ी से डेबिट किए गए और संदिग्ध ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से कंपनी के अकाउंट में जमा किए गए।

    साइबर सेल ने साइबर धोखाधड़ी के संदेह पर फ्रीज करने का निर्देश देते हुए ICICI बैंक को धारा 91 CrPc के तहत नोटिस जारी किया।

    एडिशनल एडवोकेट जनरल राजन कहोल द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए राज्य ने तर्क दिया कि कार्रवाई आवश्यक थी, क्योंकि कंपनी का अकाउंट विभिन्न राज्यों में 94 समान शिकायतों से जुड़ा है, जिससे व्यापक धोखाधड़ी की चिंता बढ़ गई।

    हालांकि कहोल ने स्वीकार किया कि धारा 91 CrPc के तहत नोटिस अकाउंट फ्रीज करने के लिए जारी नहीं किया जा सकता, उन्होंने स्वीकार किया कि धारा 102 सीआरपीसी के तहत सही प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था।

    दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील आदित्य मिश्रा ने तर्क दिया कि कंपनी की धोखाधड़ी में कोई संलिप्तता नहीं थी, उसने तुरंत राशि वापस करने का अनुरोध किया था। धारा 91 CrPC बैंक अकाउंट फ्रीज करने को अधिकृत नहीं करती, जिसे उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद धारा 102 CrPc के तहत किया जाना चाहिए था।

    कंपनी द्वारा अपने अकाउंट में जमा की गई राशि को वापस करने के प्रयास के बावजूद, बैंक साइबर सेल द्वारा जारी फ्रीज आदेश के कारण रिफंड की प्रक्रिया करने में असमर्थ था।

    कंपनी ने तर्क दिया कि बिना उचित प्रक्रिया के इस तरह की फ्रीजिंग उसके कर्मचारियों को भुगतान न करने सहित उसके व्यवसाय को अपूरणीय क्षति पहुंचा रही है।

    याचिकाकर्ता कंपनी ने आगे तर्क दिया कि डेबिट फ्रीज को सही ठहराने के लिए उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं लाया गया। इसने तर्क दिया कि कंपनी के अकाउंट, जो डिजिटल भुगतान और उपयोगिता बिल निपटान की सुविधा प्रदान करते हैं, कथित तौर पर 10,000 की धोखाधड़ी के कारण गलत तरीके से फ्रीज किए गए।

    जस्टिस शर्मा ने इसी तरह के मामलों में स्थापित कई मिसालों का हवाला दिया। अदालत ने साहिल राज बनाम तमिलनाडु राज्य में मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को रेखांकित किया, जहां यह माना गया कि CrPC की धारा 91 के तहत जारी किए गए समन पर अकाउंट फ्रीज नहीं किया जा सकता।

    इसी तरह के. सात्विक रेड्डी बनाम भारत संघ में तेलंगाना हाईकोर्ट ने भी इसी सिद्धांत का पालन किया, जिसमें पुष्टि की गई कि धारा 91 CrPc के तहत बैंक अकाउंट फ्रीज करना अवैध है।

    अदालत ने देखा कि दोनों मामलों में फ्रीजिंग आदेश रद्द कर दिए गए, क्योंकि धारा 102 CrPc के तहत उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

    जस्टिस शर्मा ने निष्कर्ष निकाला कि डेबिट फ्रीज का आदेश देने में जांच अधिकारी की कार्रवाई कानूनी रूप से अस्थिर थी।

    उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंक अकाउंट फ्रीज करने की उचित प्रक्रिया धारा 102 सीआरपीसी के तहत निर्धारित की गई, जिसमें कहा गया कि ऐसी कार्रवाइयों की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को दी जानी चाहिए। इस प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई भी फ्रीज आदेश अमान्य है।

    उन्होंने टिप्पणी की,

    "किसी भी समय साइबर सेल ने बैंक अकाउंट फ्रीज करने का आदेश देने के लिए धारा 102 सीआरपीसी के तहत सक्षम न्यायालय का रुख नहीं किया।"

    परिणामस्वरूप, न्यायालय ने धारा 91 CrPc के तहत जारी नोटिस खारिज कर दिया, याचिकाकर्ता के बैंक अकाउंट पर फ्रीज आदेश रद्द कर दिया, जिससे कंपनी को अपने अकाउंट को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की अनुमति मिल गई।

    केस टाइटल- एरोनफ्लाई इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य

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