मेधावी स्टूडेंट इस तरह के व्यवहार के हकदार नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मेरिट सर्टिफिकेट देने से इनकार करने पर स्कूल बोर्ड पर 25,000 का जुर्माना लगाया

Amir Ahmad

4 Aug 2025 12:18 PM IST

  • मेधावी स्टूडेंट इस तरह के व्यवहार के हकदार नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मेरिट सर्टिफिकेट देने से इनकार करने पर स्कूल बोर्ड पर 25,000 का जुर्माना लगाया

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया में किसी उम्मीदवार के अंक बढ़ने के बाद उसे मेरिट सर्टिफिकेट जारी करना स्कूल शिक्षा बोर्ड का कर्तव्य है और वह इसकी ज़िम्मेदारी स्कूल प्रशासन पर नहीं डाल सकता।

    जस्टिस अजय मोहन गोयल ने टिप्पणी की,

    "याचिकाकर्ता को केवल उन आधारों पर मनमाने ढंग से मेरिट सर्टिफिकेट देने से इनकार नहीं किया जा सकता, जैसा कि प्रतिवादी-बोर्ड ने अपने जवाब में प्रचारित किया। मेधावी स्टूडेंट इस तरह के व्यवहार के हकदार नहीं हैं। उसकी उत्कृष्टता को पुरस्कृत करने के बजाय प्रतिवादी-बोर्ड ने उसे न्याय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया है जिसकी सराहना नहीं की जा सकती।"

    याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा एवं अन्य बोर्ड द्वारा मार्च, 2024 में आयोजित 10वीं कक्षा की परीक्षा दी और 700 में से 686 अंक प्राप्त किए। हालांकि, याचिकाकर्ता अपने परिणाम से संतुष्ट नहीं थी। उसने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। पुनर्मूल्यांकन में उसके अंक बढ़कर 693 हो गए।

    इसके बाद उसने बोर्ड से मेरिट सर्टिफिकेट के लिए अनुरोध किया, जो मैट्रिक परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले शीर्ष दस स्टूडेंट्स को जारी किया गया और उन्हें स्कॉलरशिप के लिए पात्र बनाया गया।

    हालांकि, बोर्ड ने उसे यह कहते हुए सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया कि दस्तावेज़ समय पर जमा नहीं किए गए। बोर्ड ने तर्क दिया कि देरी स्कूल अधिकारियों की वजह से हुई, क्योंकि उन्होंने समय पर प्रमाणपत्र जमा नहीं किए।

    न्यायालय ने टिप्पणी की कि वह यह समझ नहीं पा रहा है कि बोर्ड सारा दोष स्कूल पर डालकर अपनी ज़िम्मेदारी से कैसे बच सकता है। उसने कहा कि परीक्षा आयोजित करने परिणाम घोषित करने और योग्यता प्रमाणपत्र जारी करने की ज़िम्मेदारी बोर्ड की है और वह इसे किसी और पर नहीं डाल सकता।

    रिट याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्टने माना कि याचिकाकर्ता एक अत्यंत मेधावी उम्मीदवार है और उसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने बोर्ड को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को मेधावी उम्मीदवारों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति सहित सभी लाभ प्रदान करे।

    केस टाइटल: यशस्विनी अग्रवाल बनाम हिमाचल प्रदेश विद्यालयी शिक्षा बोर्ड एवं अन्य।

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