हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट | मोटर दुर्घटना मामलों में मृतक की आय का निर्धारण सही, जब वेतन प्रमाणपत्र साबित हो और क्रॉस एग्जामिनेशन में चुनौती न दी जाए
Amir Ahmad
19 Nov 2025 4:26 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मोटर दुर्घटना दावों में मृतक की मासिक आय का आकलन तब विधिसम्मत माना जाएगा, जब उसका वेतन प्रमाणपत्र रिकॉर्ड पर साबित हो जाए और जिरह के दौरान उस पर कोई चुनौती न दी गई हो।
जस्टिस जिया लाल भारद्वाज ने कहा कि दावा अधिकरण ने मृतक की मासिक आय 25,000 रुपये आंकी थी और यह निर्धारण सही है, क्योंकि वेतन प्रमाणपत्र न केवल सिद्ध हुआ, बल्कि उस पर प्रतिपक्ष ने कोई आपत्ति भी नहीं उठाई।
इसके साथ ही अदालत ने यह भी दोहराया कि सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश 41 नियम 33 के तहत अपीलीय न्यायालय को यह शक्ति है कि वह ऐसा कोई भी आदेश या डिक्री पारित कर सकता है, जो पारित किया जाना चाहिए था भले ही संबंधित पक्ष ने कोई अपील या आपत्ति स्वयं न दायर की हो।
मामले में याचिकाकर्ता देहरादून रोडवेज का डिपो मैनेजर, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के निर्णय को तीन आधारों पर चुनौती दे रहा था-
1. पहला कि मृतक की 25,000 रुपये मासिक आय साबित नहीं हुई।
2. दूसरा भविष्य की संभावनाओं का गलत आकलन हुआ।
3. तीसरा 9% वार्षिक ब्याज दर अधिक है।
अदालत ने पाया कि भविष्य की संभावनाओं का निर्धारण वास्तव में गलत था, क्योंकि 40 से 50 वर्ष आयु वर्ग के स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए केवल 25% वृद्धि मान्य होती है, जबकि अधिकरण ने 30% की वृद्धि लागू कर दी थी।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मृतक की मासिक आय और ब्याज दर दोनों का निर्धारण सही था। इसलिए अपील आंशिक रूप से स्वीकार की गई केवल भविष्य की संभावनाओं की गणना में संशोधन करते हुए शेष निर्णय को बरकरार रखा गया।

