जेंडर पहचान के कारण स्कूलों में सेवाएं समाप्त करने का आरोप लगाते हुए ट्रांसजेंडर शिक्षक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Shahadat

2 Jan 2024 10:44 AM GMT

  • जेंडर पहचान के कारण स्कूलों में सेवाएं समाप्त करने का आरोप लगाते हुए ट्रांसजेंडर शिक्षक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी, 2024 को ट्रांसजेंडर शिक्षक द्वारा दायर रिट याचिका में नोटिस जारी किया, जिसके जेंडर पहचान उजागर होने पर गुजरात और उत्तर प्रदेश दोनों के दो अलग-अलग स्कूलों में नियुक्ति कथित तौर पर समाप्त कर दी गई।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले पर प्रतिक्रिया मांगने के लिए भारत संघ, राज्य सरकारों और स्कूलों को नोटिस देने का निर्देश दिया।

    यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता दो अलग-अलग हाईकोर्ट में अपना उपचार नहीं चला सकती।

    सीजेआई ने उसी पर ध्यान देते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं"।

    मामले को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

    2014 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) बनाम भारत संघ और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसला में ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी।

    जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस एके सीकरी की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता देने वाले कानून की गैर-मौजूदगी को शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों का लाभ उठाने में उनके खिलाफ भेदभाव करने के आधार के रूप में जारी नहीं रखा जा सकता।

    केस टाइटल: जेन कौशिक बनाम यूनियन ऑफ इंडिया डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 001405/2023

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