पुलिस सेवा नियम | विज्ञापित फिटनेस मानदंडों को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया के दौरान बाद के संशोधन द्वारा अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

12 March 2024 8:43 AM GMT

  • पुलिस सेवा नियम | विज्ञापित फिटनेस मानदंडों को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया के दौरान बाद के संशोधन द्वारा अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने स्‍पष्ट किया कि एक बार खेल शुरू होने के बाद उसके नियमों को नहीं बदला जा सकता। उक्त टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने एक खंडपीठ ने एक फैसले को बरकरार रखा, जिसके तहत कुछ उम्मीदवारों द्वारा अर्जित अपात्रता को रद्द करने के एकल-न्यायाधीश पीठ के फैसले को बरकरार रखा है।

    चीफ जस्टिस मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ उस मुद्दे पर फैसला दे रही थी, जो तब पैदा हुआ जब राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों,1989 में बाद के संशोधन के परिणामस्वरूप आदिवासी क्षेत्रों से आने वाले कुछ उम्मीदवारों को शारीरिक फिटनेस आवश्यकताओं को पूरा नहीं करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया।

    हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित पीठ ने कहा,

    “…जिस समय विज्ञापन जारी किया गया था, नियमों के नियम 14 में निहित प्रावधान, विशेष रूप से प्रावधान और विज्ञापन के तहत दिए गए नुस्‍खों के मुताबिक उत्तरदाता/रिट याचिकाकर्ता योग्य उम्मीदवार थे…चयन की प्रक्रिया के दरमियान, अचानक, नियमों में संशोधन किया गया…।”

    यह माना गया कि जब विज्ञापन में उल्लिखित फिटनेस के विशेष मानक ने याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को विधिवत योग्य बना दिया है, तो भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोई भी संशोधन उन्हें अयोग्य नहीं बना सकता है।

    यह तर्क दिया गया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद, राज्य सरकार ने 1989 के नियमों के नियम 14(2) के प्रावधान को हटा दिया, जिसमें पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के उम्मीदवारों को ऊंचाई और छाती की माप के संबंध में कुछ छूट दी गई थी।

    अपीलकर्ता राज्य ने पहले तर्क दिया था कि उम्मीदवार विज्ञापन या नियमों को कानूनी रूप से चुनौती देने से पहले इन रिट याचिकाओं को स्थानांतरित नहीं कर सकते थे। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में है।

    यह देखा गया कि विज्ञापन में कभी यह संकेत नहीं दिया गया कि आवेदन करने की तिथि पर पात्र उम्मीदवार को नियमों में बाद के संशोधन द्वारा अयोग्य ठहराया जा सकता है।

    कोर्ट ने कहा,

    “…चूंकि नियमों में संशोधन करने का सुरक्षित अधिकार अपीलकर्ता द्वारा इस तरह से प्रयोग किया गया था ताकि चयन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लंबे समय तक उम्मीदवारों को अयोग्य रखा जा सके, इसे याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनौती दी गई थी। यह अवसर तब आया...केवल तब जब अपीलकर्ता ने चयन की प्रक्रिया के बीच में नियमों में संशोधन लागू करने की मांग की, जिसका प्रतिवादी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।”

    राज्य द्वारा उठाया गया एक अन्य विवाद सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी पीठ के समक्ष कानूनी मुद्दे के लंबित होने को लेकर था। यह सवाल कि क्या चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद खेल के नियमों में बदलाव किया जा सकता है, वर्तमान में शीर्ष अदालत के समक्ष विचाराधीन है।

    हाईकोर्ट ने कहा कि बड़ी पीठ का संदर्भ और उसके लंबित रहने से ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पूर्ववर्ती मूल्य को नकारा नहीं जा सकता। अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और अन्य बनाम जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य, 2023 लाइवलॉ (एससी) 749 में शीर्ष अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों का भी उल्लेख किया।

    केस टाइटलः राजस्थान राज्य, सचिव, गृह विभाग, जयपुर- के माध्यम से और अन्य बनाम आशीष कुमार पुत्र कालू राम और संबंधित मामले

    केस नंबर: DB Spl Appl Writ No. 889/2022 & Other Matters

    साइटेशन: 2024 लाइव लॉ (राजस्थान) 46

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