मृत कर्मचारी की फैमिली पेंशन को परिवार की आय का आकलन करने की आवश्यकता नहीं: मद्रास हाइकोर्ट
Amir Ahmad
20 Jan 2024 3:19 PM IST
मद्रास हाइकोर्ट ने हाल ही में कहा कि श्रम और रोजगार विभाग (Labour and Employment Department) द्वारा जारी सरकारी आदेश के अनुसार, अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन पर विचार करते समय परिवार की आय का आकलन करते समय मृत कर्मचारी की फैमिली पेंशन पर विचार करने की आवश्यकता नहीं।
जस्टिस एल विक्टोरिया गौरी अनुकंपा नियुक्ति की अस्वीकृति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थीं।
अदालत ने यह भी कहा कि सरकारी आदेश के अनुसार जब मृतक के परिवार में कोई व्यक्ति मृत्यु से पहले कार्यरत था, लेकिन बिना किसी वित्तीय सहायता के अलग रह रहा था तो वह अनुकंपा नियुक्ति देने में आड़े नहीं आएगा।
अदालत ने कहा,
“श्रम और रोजगार (Q1) विभाग के G.O(Ms) No.18, दिनांक 23-01-2020 का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने से पता चलेगा कि यदि मृतक सरकारी सेवक के परिवार में कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवक की मृत्यु से पहले भी कार्यरत था, लेकिन परिवार को कोई सहायता दिए बिना अलग रह रहा था तो अन्य पात्र आश्रित के मामले पर विचार किया जाएगा। श्रम और रोजगार (Q1) विभाग के उक्त G.O(Ms) No.18, दिनांक 23-01- 2020 में यह भी अनिवार्य है कि परिवार की आय का आकलन करते समय मृत कर्मचारी की फैमिली पेंशन को ध्यान में रखने की आवश्यकता नहीं।”
वर्तमान मामले मे याचिकाकर्ता की मां पंचायत यूनियन मिडिल स्कूल में हेड मिस्ट्रेस के रूप में कार्यरत थीं, जब दिसंबर 2018 में उनका निधन हो गया। उनके पति स्वतंत्र और अलग रूप से जीवन जी रहे थे, याचिकाकर्ता और उनकी बेटी जीवित हैं। वर्ष 2020 में, जब याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते हुए आवेदन दिया तो उसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि मृतक का पति कृष्णापुरम अमरावती सहकारी चीनी मिल में सहायक के रूप में काम कर रहा है और 25, 898 रुपये का वेतन ले रहा है।
राज्य ने अदालत को सूचित किया कि नियुक्ति को सही ढंग से खारिज कर दिया गया, क्योंकि परिवार को मां की मृत्यु के बाद 35,150/ रुपये की मासिक पेंशन मिल रही थी। यहीं नही इसके अतिरिक्त याचिकाकर्ता के पिता भी अच्छा वेतन प्राप्त कर रहे थे।
अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर गौर किया कि पिता याचिकाकर्ता की मां की मृत्यु से पहले भी दूर रह रहे थे। कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आवेदन की उचित सराहना नहीं की गई।
इस प्रकार अदालत ने अस्वीकृति का विवादित आदेश रद्द कर दिया और अधिकारियों को 12 सप्ताह के भीतर अनुकंपा के आधार पर उपयुक्त नौकरी प्रदान करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता के वकील- के.के.कन्नन
प्रतिवादियों के वकील- जी सूर्य अनंत, और अतिरिक्त सरकारी वकील।
साइटेशन: लाइव लॉ (मैड) 31 2024
केस टाइटल- एम योगामागी बनाम सरकार के सचिव और अन्य।
केस नंबर- डब्ल्यू.पी.(एमडी) नंबर 23985 ऑफ 2022
केस को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें