कर्नाटक हाइकोर्ट ने प्रोवेजनली ट्रांसजेंडर स्टूडेंट की याचिका पर NLSIU से वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए निर्धारित मानदंडों का खुलासा करने को कहा

Amir Ahmad

12 Jan 2024 10:58 AM GMT

  • कर्नाटक हाइकोर्ट ने प्रोवेजनली ट्रांसजेंडर स्टूडेंट की याचिका पर NLSIU से वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए निर्धारित मानदंडों का खुलासा करने को कहा

    कर्नाटक हाइकोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) को निर्देश दिया कि वह यूनिवर्सिटी में विभिन्न कोर्स में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट को वित्तीय सहायता देने के लिए अपनी समिति द्वारा बनाए गए मानदंडों और वित्तीय सहायता की सीमा के बारे में सूचित करे।

    जस्टिस रवि वी होस्मानी की सिंगल न्यायाधीश पीठ ने ट्रांसजेंडर उम्मीदवार द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया, जिसे हाइकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के आधार पर शैक्षणिक वर्ष के लिए 3-वर्षीय एलएलबी प्रोग्राम में प्रोविजनल एडमिशनल दिया गया। उसने यूनिवर्सिटी से वित्तीय 2023-24 में सहायता मांगी।

    अदालत ने मौखिक रूप से सुझाव दिया कि यूनिवर्सिटी सक्रिय कदम उठाए।

    अदालत ने कहा,

    "यह विशेष परिस्थिति है। सभी को सत्यापित करें, याचिकाकर्ता अकेला सफल नहीं हो सकता। लेकिन याचिकाकर्ता जैसे व्यक्तियों को दोबारा ऐसी स्थिति का सामना करने की आवश्यकता नहीं है।"

    सुनवाई के दौरान यूनिवर्सिटी ने आवेदन का विरोध किया और अदालत को सूचित किया कि वित्तीय सहायता के लिए समिति से संपर्क करने में याचिकाकर्ता की ओर से प्रयासों में कमी है। साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा एजुकेशन लोन प्राप्त करने के लिए समिति द्वारा सुझाए गए बैंक की कमी है।

    वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने मौखिक रूप से कहा कि याचिकाकर्ता ने प्रयास किए।

    अदालत ने उनसे कहा,

    "इसे रिकॉर्ड पर रखना आवश्यक होगा। उन्हें सहायता प्राप्त करने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों का खुलासा करते हुए हलफनामा दायर करने के लिए कहा।"

    एकल न्यायाधीश पीठ ने 22 अगस्त, 2023 को अपने अंतरिम आदेश के जरिए यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि यदि पात्र पाया जाए तो शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए 3-वर्षीय एलएलबी प्रोग्राम में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को एडमिशन दिया जाए।

    इसके बाद यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने एडमिशनल प्रक्रिया के लिए एडमिशन-लेटर के साथ याचिकाकर्ता को ईमेल भेजा और 72 घंटो के भीतर 50,000 रुपये के भुगतान को अनिवार्य किया, जिस पर याचिकाकर्ता ने 29.08.2023 को जवाब दिया और पुष्टि की कि उन्होंने अपने प्रवेश के लिए 50, 000 रुपये जमा कर दिए।

    अदालत के समक्ष आवेदन में कहा गया कि अधिकांश ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की तरह याचिकाकर्ता के पास कोई पारिवारिक समर्थन नहीं है। उसे गंभीर भेदभाव का सामना करना पड़ा और वित्तीय साधनों के बिना उसने 50,000 रुपये का उक्त भुगतान किया। ट्रांसजेंडर समुदाय के शुभचिंतकों से हस्त-ऋण लेकर 29.08.2023 को उन्होंने एनएलएसआईयू वित्तीय सहायता आवेदन पत्र 2023-24 भरकर जमा किया, जिसमें उनके द्वारा वित्तीय सहायता की आवश्यकता का विवरण दिया गया।

    यूनिवर्सिटी ने 8-9-2023 को वित्तीय सहायता के संबंध में याचिकाकर्ता से 2016 तक के अतिरिक्त दस्तावेजों का अनुरोध किया, जिसका याचिकाकर्ता ने ईमेल दिनांक 11-09-2023 के माध्यम से सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करते हुए जवाब दिया।

    याचिका में कहा गया,

    “अभी भी याचिकाकर्ता को एडमिशनल देने के अंतरिम आदेश का पालन नहीं किया गया। न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में देरी से याचिकाकर्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे प्रोग्राम को पूरा करने के लिए उपस्थिति की आवश्यकता को भी पूरा नहीं कर पाएंगे। न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के लिए आकस्मिक आधार पर समय-सीमा तय करने की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि देरी के कारण निर्देशों का अनुपालन निष्फल न हो और याचिकाकर्ता के अधिकारों की रक्षा की जा सके।''

    इस मामले पर 21 जनवरी को दोबारा सुनवाई होगी।

    केस टाइटल- मुगिल अंबू वसंत और कर्नाटक राज्य और अन्य।

    केस नंबर- WP 14909/2023।

    अपीयरेंस:

    याचिकाकर्ता के लिए वकील- क्लिफ्टन डी रोज़ारियो।

    प्रतिवादी की ओर से वकील- आदित्य नारायण की ओर से केजी राघवन।

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