पति द्वारा अलग रहने के समझौते में किए गए वादों का पालन न करने पर पत्नी भरण-पोषण की हकदार: मध्यप्रदेश हाइकोर्ट

Amir Ahmad

1 Feb 2024 10:02 AM GMT

  • पति द्वारा अलग रहने के समझौते में किए गए वादों का पालन न करने पर पत्नी भरण-पोषण की हकदार: मध्यप्रदेश हाइकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब पति अलग रहने के समझौते में किए गए वादे से पीछे हट गया तो यह नहीं कहा जा सकता कि पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रही है।

    जस्टिस विशाल धगट की एकल न्यायाधीश पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्नी ऐसे मामलों में भरण पोषण की हकदार होगी।

    जबलपुर की पीठ ने कहा,

    “याचिकाकर्ता नंबर 1 समझौते में किए गए वादों के आधार पर अलग रहने के लिए सहमत हुआ। प्रतिवादी समझौते में किए गए वादों से मुकर गया, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता आपसी सहमति से अलग रह रहा है।”

    अदालत ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 125(5) के तहत पत्नी द्वारा उसे और उसके दो बच्चों को गुजारा भत्ता देने के लिए दायर आवेदन खारिज करके गलती की। तदनुसार अदालत ने प्रतिवादी/पति को निर्देश दिया कि वह पत्नी को 5,000 रुपये प्रति माह और 18 और 11 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को 2,500 रुपये का गुजारा भत्ता दे।

    सीआरपीसी की धारा 397/401 के तहत वर्तमान पुनर्विचार याचिका प्रथम एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज फैमिली कोर्ट, जबलपुर द्वारा पारित आदेश के अनुसार दायर की गई। गुजारा भत्ता देने के लिए निचली अदालत के समक्ष दायर याचिका में प्रतिवादी के खिलाफ एकपक्षीय कार्यवाही की गई।

    पत्नी के अनुसार पति का किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है। जल्द ही, पति ने कथित तौर पर पत्नी को परेशान करना शुरू किया। पति द्वारा उसे अलग रहने के लिए समझौते को निष्पादित करने के लिए भी मजबूर किया गया। समझौते के अनुसार, पति को 10% की वार्षिक वृद्धि के साथ भरण-पोषण के रूप में 2000 रुपये का भुगतान करना और बीड़ी-बंडलों की खेती के कृषि के लिए एक एकड़ जमीन देनी थी। हालांकि, याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर समझौते के नियमों और शर्तों का पालन करने से इनकार किया।

    निचली अदालत ने भरण-पोषण की अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी कि समझौते में दर्ज अलग रहने का फैसला आपसी सहमति से हुआ। निचली अदालत ने पत्नी को कानून के मुताबिक समझौते पर अलग से विवाद करने की भी छूट दी।

    इससे पहले याचिकाकर्ता पत्नी और बच्चों के वकील ने कहा कि समझौता अनरजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट है और अन्य पक्षों पर बाध्यकारी नहीं है। धारा 125(4) के अनुसार, यदि पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं तो पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं होगी। हालांकि, पत्नी के अनुसार समझौते के बावजूद उसे भरण-पोषण के रूप में कोई राशि नहीं मिली।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील- शिवेंद्र पांडे

    केस टाइटल- नगीना बानो एवं अन्य बनाम मोहम्मद नईम अली।

    केस नंबर: 2022 का आपराधिक संशोधन नंबर 2412

    साइटेशन- लाइव लॉ (एमपी) 19 2024

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