कनाडाई अदालत में कस्टडी की लड़ाई | पति के पिता, वकील द्वारा पत्नी के घर पर अवमानना ​​नोटिस देना आपराधिक अतिचार नहीं: मध्य प्रदेश हाइकोर्ट

Amir Ahmad

14 Feb 2024 7:55 AM GMT

  • कनाडाई अदालत में कस्टडी की लड़ाई | पति के पिता, वकील द्वारा पत्नी के घर पर अवमानना ​​नोटिस देना आपराधिक अतिचार नहीं: मध्य प्रदेश हाइकोर्ट

    मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने ससुर के खिलाफ आपराधिक अतिचार के आरोप से उत्पन्न कार्यवाही रद्द कर दी। उक्त व्यक्ति ने कनाडाई अदालत द्वारा जारी अवमानना ​​नोटिस सीधे अपनी बहू के घर पर भेजा था।

    बच्चे की कस्टडी की लड़ाई, जो याचिकाकर्ता के बेटे और बहू के बीच लड़ी जा रही है, उसके अनुसरण में जारी किए गए उक्त नोटिस की तामील के समय याचिकाकर्ता के साथ उसका वकील भी मौजूद था।

    जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि बहू के घर पर सीधे नोटिस की तामील को किसी भी गलत इरादे से दूषित नहीं कहा जा सकता। खासकर, जब याचिकाकर्ता ससुर उसके वकील द्वारा साथ थे। याचिकाकर्ता के बेटे को भेजे गए ई-मेल में इसे शिकायतकर्ता या उसके वकील को देने के विकल्पों का उल्लेख किया गया।

    इंदौर की पीठ ने स्पष्ट किया,

    “यदि कनाडाई अदालत द्वारा जारी नोटिस की तामील के लिए याचिकाकर्ता के अपने वकील के साथ शिकायतकर्ता के घर जाने के इस पूरे प्रकरण को निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो यह अदालत पाती है कि याचिकाकर्ता और उसके वकील को आपराधिक अतिचार के इरादे से परेशान नहीं किया जा सकता। ऐसा हो सकता है कि चूंकि नोटिस शिकायतकर्ता को पसंद नहीं था, इसलिए कुछ तीखी बहस हो सकती है, लेकिन इसे आपराधिक अतिचार का अपराध करने का इरादा नहीं माना जा सकता।”

    अदालत ने कहा कि कनाडाई अदालत द्वारा जारी और पुलिस के जब्ती ज्ञापन में शामिल अवमानना ​​नोटिस में शिकायतकर्ता को 20-09-2022 को अदालत के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है। नोटिस में कहा गया कि अवमाननाकर्ता को मामले का निपटारा होने तक उक्त पते पर ही रहना चाहिए।

    जस्टिस अभ्यंकर ने कहा,

    “इस प्रकार शिकायतकर्ता के खिलाफ अदालत के समक्ष उपस्थित होने का स्पष्ट आदेश है। जाहिर तौर, पर उक्त नोटिस को शिकायतकर्ता की पसंद का नहीं कहा जा सकता, जो याचिकाकर्ता के शिकायतकर्ता ससुर द्वारा उसे भेजा गया है।”

    अदालत ने महमूद अली बनाम यूपी राज्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 613 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए निष्कर्ष निकाला कि आपराधिक अतिचार की सामग्री नहीं बनाई गई। महमूद अली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाइकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 याचिका पर विचार करते समय मामले की शुरुआत के लिए अग्रणी समग्र परिस्थितियों के साथ-साथ जांच पड़ताल प्रक्रिया में एकत्र की गई सामग्री को भी ध्यान में रखने का अधिकार रखती है।

    याचिका स्वीकार करते हुए और आईपीसी की धारा 452, 506 और 34 के तहत अपराधों के लिए एफआईआर रद्द करते हुए हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत ससुर के खिलाफ प्रतिशोध लेने के लिए किया गया विचार मात्र है।

    मामला

    याचिकाकर्ता के बेटे ने 2014 में शिकायतकर्ता से शादी की और कनाडा में रहने लगे। पति-पत्नी के बीच विवाद होने के बाद शिकायतकर्ता पत्नी 2022 में अपने बच्चे के साथ भारत लौट आई। जब पत्नी ने याचिकाकर्ता के बेटे को सूचित किया कि वह कनाडा नहीं लौटेगी तो याचिकाकर्ता ने 10-06-2022 को अपनी नाबालिग बेटी की कस्टडी हासिल करने के लिए आवेदन दायर किया। इसी तरह पत्नी ने 20-06- 2022 को फैमिली कोर्ट इंदौर के समक्ष तलाक की याचिका दायर की।

    13-07-2022 को ओंटोरियो में कनाडाई अदालत ने शिकायतकर्ता को 30 दिनों के भीतर बच्चे को अदालत के सामने पेश करने का निर्देश दिया जिसका पालन नहीं किया गया।

    कनाडाई अदालत के निर्देशों को खारिज करने के लिए याचिकाकर्ता के बेटे ने अवमानना ​​याचिका दायर की। बाद में 08-09-2022 को याचिकाकर्ता के बेटे के वकील ने ईमेल भेजकर शिकायतकर्ता को अवमानना ​​की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा।

    याचिकाकर्ता का बेटा इंदौर में नहीं रहता है, इसलिए चार्टर्ड अकाउंटेंट याचिकाकर्ता अपने वकील के साथ 12-09-2022 को शिकायतकर्ता के घर गया और उसे नोटिस दिया। छह घंटे बाद शिकायतकर्ता द्वारा याचिकाकर्ता और अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अतिचार का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया गया।

    आवेदक की ओर से वकील- एस.के. व्यास और वकील अनिरुद्ध गोखले।

    सरकार की ओर से वकील- सुरेंद्र गुप्ता ने पैरवी की।

    प्रतिवादी की ओर से वकील- ए.एस.ग्रैग और रौनक चौकसे उपस्थित हुए।

    केस टाइटल- श्याम मालपानी बनाम मध्य प्रदेश राज्य स्टेशन हाउस ऑफिसर थ्रू पुलिस स्टेशन लसुड़िया एवं अन्य।

    केस नंबर- विविध. 2023 का आपराधिक मामला संख्या 17305

    साइटेशन- लाइव लॉ (एमपी) 32 2024

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