असम PSC भर्ती घोटाला: गुवाहाटी हाइकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 41ए का अनुपालन न करने का हवाला देते हुए निलंबित ACS अधिकारी को जमानत दी

Amir Ahmad

19 Feb 2024 9:45 AM GMT

  • असम PSC भर्ती घोटाला: गुवाहाटी हाइकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 41ए का अनुपालन न करने का हवाला देते हुए निलंबित ACS अधिकारी को जमानत दी

    गुवाहाटी हाइकोर्ट ने असम लोक सेवा आयोग (APSC) द्वारा आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2013 में फर्जी उत्तर पुस्तिका डालकर अपने अंक बढ़ाने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल करने के आरोपी निलंबित एसीएस अधिकारी राकेश दास को शनिवार को जमानत दी।

    जस्टिस रॉबिन फुकन की एकल न्यायाधीश पीठ ने पाया कि वर्तमान मामले में आरोपी की गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41ए के प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया।

    दास ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धारा 7, 13(1)(A)(B)(D)(2) के तहत उनके खिलाफ दर्ज मामले के संबंध में सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका दायर की। 27 अक्टूबर, 2016 को डॉ. अंशुमिता गोगोई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर आईपीसी की धारा 120 बी, 420 के साथ आईपीसी की धारा 463, 468, 471, 477 (A), 201 जोड़ी गई।

    याचिकाकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया कि नबाकांत पाटीर ने उससे संपर्क किया और उसे एपीएससी द्वारा आयोजित डेंटल सर्जन के पद पर भर्ती करने के लिए 10,00,000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा। जब वह उपरोक्त सौंपने के लिए डिब्रूगढ़ आई तो तभी पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

    वर्तमान आरोपी के खिलाफ आरोप यह है कि APSC द्वारा आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2013 (CCE) में उसने फर्जी उत्तर पुस्तिका डालकर अपने अंक बढ़ाने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया।

    आरोपी आवेदक की ओर से पेश वकील ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी के समय जांच अधिकारी (IO) ने उसे सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत सतिंदर कुमार एंटिल और अन्य बनाम सीबीआई और अन्य (2022) 10 एससीसी 51 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार कोई नोटिस नहीं दिया।

    आगे यह प्रस्तुत किया गया कि यद्यपि मामला पीसी अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया, फिर भी यह वर्तमान मामले में उतना लागू नहीं होता, जितना कि प्रासंगिक समय पर यानी वर्ष 2013 में, आरोपी पर लोक सेवक नहीं है।

    यह भी तर्क दिया गया कि दो सह-अभियुक्तों को पहले ही हाईकोर्ट द्वारा जमानत दी जा चुकी है। इसलिए उक्त आरोपी व्यक्तियों के साथ समानता बनाए रखते हुए आवेदक को भी जमानत दी जानी चाहिए।

    यह देखा गया,

    "दूसरी ओर एपीपी असम ने प्रस्तुत किया कि मामले में पीसी अधिनियम के प्रावधान काफी हद तक लागू हैं, क्योंकि आरोपी लोक सेवक को रिश्वत देने की साजिश में शामिल था। इस लिए निर्धारित सजा 7 साल से अधिक है, इसलिए जांच अधिकारी ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत कोई नोटिस नहीं दिया। पर्याप्त सामग्री एकत्रित कर आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने कहा कि आरोपी ने गिरफ्तार आरोपी राकेश कुमार पॉल और एपीएससी के अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से गैरकानूनी तरीके अपनाकर असम सरकार की नौकरी हासिल की।"

    कोर्ट ने कहा,

    “बेशक, यहां इस मामले में सीआरपीसी की धारा 41ए का प्रावधान है। अभियुक्त की गिरफ्तारी से पूर्व इसका अनुपालन नहीं किया गया। अतिरिक्त. पी.पी. उपरोक्त धारा के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के बाद अदालत को बताया गया कि इसका अनुपालन नहीं किया गया, क्योंकि मामला पी.सी. अधिनियम, आईपीसी के तहत धाराओं के अलावा भी धारा 7/13(1)(ए)(बी)(डी)(2) के तहत दर्ज किया गया।"

    न्यायालय ने आगे कहा कि पीसी अधिनियम के संशोधित प्रावधान 2018 से लागू हुए, जिसके द्वारा कुछ प्रावधानों में निर्धारित सजा को बढ़ाया गया। हालांकि, घटना वर्ष 2013 में हुई और उस समय अधिनियम का पुराना प्रावधान लागू है, जहां निर्धारित सजा 7 साल तक है। इस प्रकार, सीआरपीसी की धारा 41ए के प्रावधान के अनुपालन की आवश्यकता है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने सतिंदर कुमार अंतिल (सुप्रा) के मामले में कहा था।

    कोर्ट ने कहा,

    “यह भी प्रतीत होता है कि आरोपी 30-11-2023 से जेल में बंद है। मामले की जांच भी पूरी हो चुकी है और निचली अदालत के समक्ष आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका है। इसके अलावा दो सह-अभियुक्तों को पहले ही इस अदालत द्वारा 25-01-2024 के आदेश के तहत 2024 के बीए नंबर 113 में और 2024 के बीए नंबर 83 में दिनांक 25.01.2024 के आदेश के तहत जमानत पर रिहा कर दिया गया। जैसा कि माननीय द्वारा आयोजित किया गया, सुप्रीम कोर्ट ने सतिंदर कुमार अंतिल (सुप्रा) के मामले में एक ही अपराध के आरोपी व्यक्तियों के साथ कभी भी एक ही अदालत या अलग-अलग अदालतों द्वारा अलग-अलग व्यवहार नहीं किया जाएगा।''

    इस प्रकार अदालत ने आवेदक को विशेष न्यायाधीश, असम की संतुष्टि के लिए केवल 50,000 रुपये के बांड और इतनी ही राशि का एक जमानतदार पेश करने पर जमानत दे दी।

    केस टाइटल-राकेश दास बनाम असम राज्य

    केस नंबर-जमानत आवेदन/233/2024

    Next Story