बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने खिलाफ 'मनगढ़ंत' न्यूज क्लिपिंग के आधार पर जज को पद से हटाने की मांग करने वाले वकील और मुवक्किल को अवमानना नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
2 Feb 2024 1:58 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ निंदनीय आरोपों के साथ मनगढ़ंत न्यूज आर्टिकल का उपयोग करने और उन्हें मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के लिए वकील ज़ोहेब मर्चेंट और मीनल चंदनानी और उनके मुवक्किल के खिलाफ स्वत: संज्ञान अवमानना याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया।
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और जस्टिस एन आर बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के आरोप न केवल जज की गरिमा पर हमला करते हैं, बल्कि संस्था के अधिकार और कानून की महिमा पर हमला हैं।
अदालत ने कहा,
“इस तरह के जानबूझकर प्रेरित और अवमाननापूर्ण कार्य, जो न्याय प्रशासन को ख़राब करते हैं, या न्याय प्रशासन को बदनाम करते हैं या अदालत की गरिमा को कम करते हैं, अदालत की आपराधिक अवमानना अधिनियम 1971 (Contempt of Courts Act, 1971) की धारा 2 (सी) के तहत की गई परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।"
अदालत ने तीनों अवमाननाकर्ताओं के दृष्टिकोण को सही पाते हुए उनकी माफी स्वीकार करने से इनकार किया।
यह मामला अमर मूलचंदानी और अन्य द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका से संबंधित है, जिसमें 430 करोड़ रुपये के कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज ECIR रद्द करने की मांग की गई। याचिका में भीष्म पाहुजा को प्रतिवादी नंबर 5 के रूप में शामिल किया गया और उनका प्रतिनिधित्व वकील ज़ौहेब मर्चेंट ने किया।
08 नवंबर, 2023 को मामला सुनवाई के लिए आया तो न्यूज क्लिपिंग के साथ प्रेसीप रिकॉर्ड पर रखा गया, जिसमें पीठ की अध्यक्षता कर रहे जज के खिलाफ आरोप लगाए गए और वकील ने मामले को दूसरी पीठ के समक्ष रखने की मांग की।
बाद में वकीलों ने माफी मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में मामला जस्टिस प्रभुदेसाई की पीठ के समक्ष रखा गया और न्यूज आर्टिकल की सत्यता को टेस्ट करने के लिए जांच का आदेश दिया गया।
असिस्टेंट कमीश्नर ऑफ पुलिस द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से पता चला कि 'राजधर्म' में ऐसी कोई समाचार रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई और उक्त न्यूज क्लिपिंग झूठा और मनगढ़ंत दस्तावेज है।
खंडपीठ ने कहा,
“प्रतिवादी नंबर 5 (भीमेश पाहुजा) का आचरण ऐसी न्यूज क्लिपिंग को उठाना, जो कथित तौर पर उसके दरवाजे पर लगाई गई, इसे न्यायाधीश के समक्ष रखने के अनुरोध के साथ प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना अपने वकील को भेज दिया। न्यूज रिपोर्ट की वास्तविकता प्रथम दृष्टया उनके दावे के खोखलेपन और झूठ को प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है कि इसे अच्छे इरादों के साथ आगे नहीं बढ़ाया गया।”
मूलचंदानी की ओर से पेश सीनियर वकील रवि कदम ने कहा कि वकीलों का कर्तव्य है कि वे अपने मुवक्किल को ऐसे दुर्भावनापूर्ण आरोपों से जुड़ने के बजाय कोई भी अनुचित टिप्पणी करने के खिलाफ सलाह दें।
वकीलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अंतुरकर ने माना कि प्रिसीप की सामग्री अपमानजनक है, लेकिन यह युवा वकील ज़ौहेब मर्चेंट की गलती थी, जिसने अपने मुवक्किल के निर्देशों पर काम किया।
हालांकि, अदालत ने माना कि मर्चेंट अपने मुवक्किल के निर्देश पर खुद को निर्दोष नहीं बता सकता। अदालत के अधिकारी के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि वह न्यायाधीश को बदनाम करने या संस्था को बदनाम करने से बचें।
यह कहना पर्याप्त है कि वकील अपने मुवक्किल का मुखपत्र नहीं है। वह न्यायाधीश और संस्थान को बदनाम करने के लिए अपनी पेशेवर क्षमता में अपने मुवक्किल के साथ हाथ नहीं मिला सकता। यह तथ्य कि वह युवा वकील है, उसे न्याय की धारा को प्रदूषित करने का लाइसेंस नहीं देता।
अदालत ने कहा कि यह वकील का कर्तव्य है कि वह अपने मुवक्किल को ऐसे आरोप लगाने के खिलाफ सलाह दें।
अदालत ने कहा,
“मनगढ़ंत समाचार पत्र की क्लिप को फॉरवर्ड करने और मामले से अलग होने की मांग करने वाली याचिका दाखिल करने का इतना सही समय महज संयोग नहीं हो सकता है, लेकिन प्रथम दृष्टया न्यायाधीश को कार्यवाही से अलग करने के लिए धमकाकर बेंच शिकार करना सोचा-समझा और प्रेरित प्रयास प्रतीत होता है। इस तरह का आचरण न्याय प्रशासन के मूल सिद्धांतों पर प्रहार करता है।”