दिल्ली हाईकोर्ट में राहुल गांधी: नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने वाला ट्वीट हटा दिया गया

Amir Ahmad

24 Jan 2024 11:12 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट में राहुल गांधी: नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने वाला ट्वीट हटा दिया गया

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली हाइकोर्ट को बताया कि उन्होंने उस नाबालिग लड़की के बारे में कथित तौर पर पहचान और संवेदनशील विवरण का खुलासा करने वाला ट्वीट हटा लिया। उक्त लड़की के साथ 2021 में बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ को एक्स (पूर्व में ट्विटर) के वकील ने यह भी सूचित किया कि विचाराधीन ट्वीट गांधी द्वारा हटा दिया गया।

    वर्ष 2021 में दिल्ली छावनी क्षेत्र में श्मशान के अंदर नौ वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। राहुल गांधी ने नाबालिग के परिवार से मुलाकात करने के बाद एक्स पर तस्वीर पोस्ट की थी।

    गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि NCPCR के रजिस्ट्रार की शिकायत के आधार पर राहुल गांधी के खिलाफ उनके ट्वीट के लिए सितंबर, 2021 में एफआईआर दर्ज की गई।

    अदालत को दिल्ली पुलिस द्वारा यह भी सूचित किया गया कि भारतीय दंड संहिता 1860 (आईपीसी) और पॉक्सो एक्ट 2015 (POCSO Act) के प्रासंगिक अपराधों के तहत आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ अगस्त 2021 में एफआईआर दर्ज की गई, जिस पर मुकदमा लंबित है और आरोप अभी बाकी हैं।

    तदनुसार, खंडपीठ ने सोशल वर्कर मकरंद सुरेश म्हाडलेकर द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें कथित तौर पर नाबालिग पीड़िता की पहचान का खुलासा करने के लिए गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई।

    अदालत ने मामला बंद करते हुए कहा,

    "उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए रिट याचिका में उल्लिखित प्रार्थनाएं संतुष्ट हैं।"

    पिछले महीने, दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि नाबालिग पीड़िता की मौत बिजली का झटका लगने से हुई थी। यह सुझाव देने के लिए कोई साइंटिफिक सबूत उपलब्ध नहीं है कि यह बलात्कार और हत्या का मामला है।

    जब अदालत में इस पर चर्चा हो रही थी तो दिल्ली पुलिस ने इसका कड़ा विरोध किया। उसने कहा कि याचिकाकर्ता को जनहित याचिका में मामले की गुणवत्ता में जाने का कोई अधिकार नहीं।

    याचिका में दावा किया गया कि पीड़ित बच्चे के माता-पिता के साथ तस्वीर पोस्ट करके गांधी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 (Protection of children from sexual offences Act 2012) का उल्लंघन किया, जो यौन अपराधों के शिकार नाबालिग की पहचान का खुलासा करने पर रोक लगाता है।

    मामले में निपुण सक्सेना बनाम भारत संघ के फैसले पर भरोसा जताया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाले पीड़ित या बच्चे की व्यक्तिगत जानकारी और विवरण मीडिया में नहीं किया जा सकता।

    याचिका में कहा गया,

    "यह प्रस्तुत किया गया कि बलात्कार विशेष रूप से नाबालिग लड़की के साथ बच्चों के खिलाफ किए गए सबसे गंभीर अपराधों में से एक है। सार्वजनिक रूप से ऐसे अपराधों का खुलासा केवल पीड़ित के परिवार और खुद पीड़ित की पीड़ा को बढ़ाता है। ऐसा करने से प्रतिवादी नंबर 1 ने पीड़ित के परिवार के सदस्यों के जीवन को बहुत जोखिम में डाल दिया।”

    इसमें गांधी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए NCPCR को निर्देश देने की मांग की गई। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस को POCSO Act के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश भी मांगा गया।

    केस टाइटल- मकरंद सुरेश म्हाडलेकर बनाम राहुल गांधी और अन्य।

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