दिल्ली LG ने DCPCR का फंड नहीं रोका, कोई प्रेस रिलीज जारी नहीं की गई: दिल्ली हाइकोर्ट में बताया

Amir Ahmad

19 Jan 2024 11:50 AM GMT

  • दिल्ली LG ने DCPCR का फंड नहीं रोका, कोई प्रेस रिलीज जारी नहीं की गई: दिल्ली हाइकोर्ट में बताया

    दिल्ली हाइकोर्ट में सूचित किया गया कि उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना द्वारा दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) की फंडिंग रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया गया।

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद के निर्देश पर एलजी के वकील ने यह दलील दी।

    जस्टिस प्रसाद "सरकारी धन के दुरुपयोग" के आरोपों पर जांच और विशेष ऑडिट होने तक बाल अधिकार निकाय द्वारा उसके फंड को रोकने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।

    वकील ने प्रस्तुत किया कि DCPCR की फंडिंग को रोकने के लिए एलजी द्वारा कभी कोई आदेश पारित नहीं किया गया और याचिका में संलग्न प्रेस रिलीज एलजी कार्यालय द्वारा कभी जारी नहीं की गई।

    वकील ने कहा,

    “यह तथाकथित प्रेस रिलीज एलजी द्वारा कभी जारी नहीं की गई। यह काफी गंभीर है।”

    अदालत ने तब वकील से कहा कि वह अपनी दलीलें हलफनामे पर रखें और उसे चार दिनों के भीतर दाखिल करें।

    अब इस मामले की सुनवाई 25 जनवरी को होगी।

    DCPCR की याचिका के अनुसार, एलजी ने पिछले साल नवंबर में प्रेस नोट जारी कर दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के जांच शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके द्वारा सरकारी धन के कथित दुरुपयोग पर विशेष ऑडिट का आदेश दिया।

    DCPCR की ओर से पेश गोपाल शंकरनारायणन ने पहले कहा कि धन का आवंटन रोक दिया गया।

    याचिका सुप्रीम कोर्ट से ट्रांसफर होने के बाद दिल्ली हाइकोर्ट में आई, जिसमें कहा गया कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच हर मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अनुच्छेद 32 याचिका के तहत कवर नहीं किया जा सकता।

    याचिका में कहा गया कि अपर्याप्त फंडिंग से बाल अधिकार निकाय के कार्यक्रमों को गंभीर खतरा है। इस तरह की कार्रवाई से इसकी कार्यात्मक स्वतंत्रता को भी खतरा है।

    इसमें कहा गया कि जांच "विवादास्पद" है और विशेष ऑडिट बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2005 (Commission of Protection of Child Rights 2005) की योजना के अंतर्गत नहीं है।

    याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता नंबर 1 (DCPCR) द्वारा प्रतिवादी नंबर 4 (कुलदीप चहल) द्वारा संचालित स्कूल के खिलाफ कदम उठाने के बाद ही इसकी शुरुआत की गई, जो केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ नेतृत्व क्षमता से जुड़ा राजनीतिक व्यक्ति है, जो प्रतिवादी नंबर 1 (LG) को सलाह देता है।

    केस टाइटल- दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग बनाम उपराज्यपाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली।

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