शिकायतकर्ता वकील ने नोटरी के समक्ष गलत और फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया: बॉम्बे हाईकोर्ट ने POCSO के आरोपी को जमानत दी

Amir Ahmad

30 Jan 2024 8:03 AM GMT

  • शिकायतकर्ता वकील ने नोटरी के समक्ष गलत और फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया: बॉम्बे हाईकोर्ट ने POCSO के आरोपी को जमानत दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी, क्योंकि उसने पाया कि शिकायतकर्ता (आरोपी की पत्नी) और उसके वकील ने मामले में गलत हलफनामा दायर किया था।

    जस्टिस माधव जे जमादार ने कहा,

    “यह बहुत गंभीर मामला है। प्रथम दृष्टया, प्रतिवादी नंबर 2 (शिकायतकर्ता) का आचरण और वकील रोहित कुमार का आचरण न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप के समान है, क्योंकि आवेदक को जमानत देने का विरोध करने के लिए झूठा और मनगढ़ंत हलफनामा दायर किया गया।"

    आवेदक की जमानत पहले सत्र न्यायालय द्वारा कुछ व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर रद्द कर दी गई, जिनमें से कुछ में वकील रोहित कुमार के लिए अभद्र भाषा और धमकी शामिल थी।

    इस बात पर विचार करते हुए कि शिकायतकर्ता ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए हाइकोर्ट में झूठा हलफनामा पेश किया, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि प्रथम दृष्टया इस बात की पूरी संभावना है कि सामग्री बनाई गई या आवेदक के साथ हेरफेर किया गया। इस तरह से उसे उन मैसेज को भेजने के लिए प्रेरित किया गया, जिससे उसकी जमानत रद्द हो गई।

    कथित अपराध 5 जून, 2020 को हुआ और एफआईआर 9 नवंबर, 2022 को दर्ज की गई। आरोपों में आईपीसी की धारा 354, 323, 506 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) की धारा 3, 4, 7, 9 (G), और धारा 10 और शामिल है। अभियुक्त को एफआईआर दर्ज होने के 25 मिनट के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। 5 जनवरी, 2023 को आरोप पत्र दाखिल किया गया।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुणे ने एफआईआर दर्ज करने में लगभग तीस महीने की अस्पष्ट देरी को देखते हुए 9 दिसंबर, 2022 को आवेदक को जमानत दे दी। हालांकि शिकायतकर्ता पर दबाव डालने और धमकी देने और पीड़िता, जो आरोपी और शिकायतकर्ता की बेटी है, उसका पीछा करने के आरोपों के आधार पर, 5 जुलाई 2023 को जमानत रद्द कर दी गई।

    बाद में दायर की गई जमानत याचिका में यह दावा किया गया कि शिकायतकर्ता और उसके वकील ने उसके खिलाफ झूठे मामले या रिकॉर्ड बनाए। उक्त याचिका को 30 अक्टूबर, 2023 को खारिज कर दिया गया, जिससे हाइकोर्ट के समक्ष वर्तमान कार्यवाही शुरू हो गई।

    शिकायतकर्ता की मां ने 22 जून 2023 को रोहित रामचन्द्र कुमार नाम के व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उसने उसके साथ मारपीट की उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे जान से मारने की धमकी दी। अलग-अलग मध्य नाम के बावजूद शिकायत में पता और मोबाइल नंबर वकील रोहित कुमार से मेल अकाउंट था, जिन्होंने सत्र अदालत के साथ-साथ हाइकोर्ट में शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व किया। यह शिकायत आवेदक के विरुद्ध कथित अपराध से असंबंधित है।

    आवेदक के वकील वैभव कुलकर्णी ने लाइव लॉ को बताया कि उन्होंने अदालत को यह दिखाने के लिए जमानत याचिका में इस शिकायत को रिकॉर्ड पर लाया कि वकील रोहित कुमार आवेदक और शिकायतकर्ता के परिवार के साथ हस्तक्षेप कर रहे थे।

    इस कथन के जवाब में वकील रोहित कुमार ने पत्नी की मां का हलफनामा हाईकोर्ट में दाखिल किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि उन्हें कुमार के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। हलफनामे में कहा गया कि इसके अलावा उनकी शिकायत में उल्लिखित व्यक्ति कुमार नहीं थे। हलफनामे में दावा किया गया कि अन्य व्यक्ति ने खुद को एडवोकेट रोहित रामचन्द्र कुमार बताते हुए उन्हें धमकी दी और उनकी प्रतिष्ठा को नष्ट करने के लिए उन्हें एडवोकेट रोहित कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए गुमराह किया।

    अदालत को यह चौंकाने वाला लगा कि हलफनामे की पुष्टि शिकायतकर्ता की मां ने नहीं बल्कि खुद शिकायतकर्ता ने अपनी मां के रूप में करते हुए की। इसके अलावा, वकील रोहित कुमार ने नोटरी के समक्ष शिकायतकर्ता की गलत पहचान उसकी मां के रूप में की। अदालत में उपस्थित शिकायतकर्ता ने शपथ पत्र में अपनी मां के हस्ताक्षर के बजाय अपने हस्ताक्षर करने की बात लिखित रूप से स्वीकार की।

    अदालत ने पहले जमानत देते समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की टिप्पणियों की ओर इशारा किया कि एफआईआर दर्ज की गई और शिकायतकर्ता, जो पुलिस कांस्टेबल है, उसकी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करके आवेदक को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

    शिकायतकर्ता के कपटपूर्ण कार्यों को देखते हुए अदालत ने आरोपी को अगले आदेश तक जमानत दी।

    एमिक्स क्यूरी कुलदीप निकम ने बीसीआई नियमों के नियम 13 और 15 का हवाला देते हुए कहा कि वकील रोहित कुमार के लिए शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करना अनुचित है। उन्होंने आवेदक के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की और वह मामले में संभावित गवाह हैं।

    अदालत ने शिकायतकर्ता वकील रोहित कुमार और महाराष्ट्र राज्य को 30 जनवरी, 2024 तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले को 2 फरवरी, 2024 तक के लिए स्थगित किया गया।

    आवेदक का प्रतिनिधित्व- सोहन गुंजल और वैभव कुलकर्णी।

    राज्य का प्रतिनिधित्व- एपीपी पीएच गायकवाड़

    शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व- रोहित कुमार।

    मामला नंबर- आपराधिक जमानत आवेदन नंबर 4032/2023

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