कर्मचारियों की परस्पर वरिष्ठता योग्यता को नजरअंदाज करके और उम्र को प्राथमिकता देकर तय नहीं की जा सकती, जबकि 'मेरिट' मानदंड पहले ही अपनाया जा चुका है: एमपी हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

15 March 2024 7:53 AM GMT

  • कर्मचारियों की परस्पर वरिष्ठता योग्यता को नजरअंदाज करके और उम्र को प्राथमिकता देकर तय नहीं की जा सकती, जबकि मेरिट मानदंड पहले ही अपनाया जा चुका है: एमपी हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने औद्योगिक विकास निगम के उप-अभियंताओं के बीच परस्पर वरिष्ठता से संबंधित एक मामले में कहा कि पदोन्नति के मामलों में उम्र को प्राथमिकता देकर योग्यता सूची को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल जज बेंच ने कहा कि जब दैनिक वेतनभोगियों को उनकी योग्यता के संदर्भ में एक विशेष क्रम में रखा गया है तो बाद में उनकी योग्यता पर संबंधित उम्मीदवारों की उम्र को प्राथमिकता देकर उस सूची को विकृत नहीं किया जा सकता है।

    जबलपुर में बैठी पीठ ने आदेश में कहा,

    "...जब इस पहलू से भी परीक्षण किया गया तो योग्यता को छूट दिए बिना योग्यता पर उम्र को प्राथमिकता देने के अधिकारियों के निर्णय को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.. निजी प्रतिवादी सुरेश कुमार सोनी पर याचिकाकर्ता की अंतर वरिष्ठता बहाल की जाती है...",

    केवल उन स्थितियों में जहां दो व्यक्तियों की योग्यता समान होती है, भर्ती के लिए उम्र के कारक को ध्यान में रखा जाता है, अदालत ने उक्त तय प्रस्ताव को स्पष्ट किया। यहां यह ध्यान रखना उचित है कि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों को एक ही तारीख पर नियुक्त किया गया था।

    कोर्ट ने कहा,

    "...याचिकाकर्ता को अधिक कुशल पाया गया, इस प्रकार, अधिक मेधावी को निजी प्रतिवादी से ऊपर रखा गया और एक बार जब उस मानदंड को अपनाया गया तो उस मानदंड को अलग किए बिना या यह कहकर उसे बिगाड़े बिना कि याचिकाकर्ता निजी प्रतिवादी की तुलना में कम कुशल है..., जीएडी परिपत्र के आधार पर अंतर वरिष्ठता से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती थी, जिसका वर्तमान मामले के तथ्यों पर कोई अनुप्रयोग नहीं है…।”

    विनोद गुप्ता बनाम मध्य प्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम लिमिटेड और अन्य के मामले में, जिस पर उत्तरदाताओं ने भरोसा किया था, अदालत ने माना था कि उम्र वरिष्ठता के निर्धारण का आधार तभी हो सकती है, जब नियमितीकरण से पहले सेवा की अवधि उपरोक्त विशेष जीएडी परिपत्र में उल्लिखित मानदंड के समान हो।

    उपरोक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने प्रतिवादी अधिकारियों से याचिकाकर्ता कर्मचारी की वरिष्ठता को बहाल करने और पदोन्नति के सभी काल्पनिक लाभों को 45 दिनों के भीतर निजी प्रतिवादी को देने के लिए कहा। जस्टिस अग्रवाल ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अगले नियम के आधार पर प्रोफार्मा पदोन्नति का हकदार होगा।

    केस टाइटलः राजेश विजयवर्गीय बनाम अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक मप्र ट्राफैक एंड इन्वेस्टमेंट फेलिसिटेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अन्य।

    केस नंबर: रिट याचिका नंबर 6342, 2015

    साइटेशनः 2024 लाइव लॉ (एमपी) 49


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