किसानों का विरोध | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सभी पक्षों से सौहार्दपूर्ण समाधान का आह्वान किया
LiveLaw News Network
14 Feb 2024 10:18 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एमएसपी के मुद्दे पर किसानों के विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर सभी पक्षों को सौहार्दपूर्ण समाधान का आह्वान किया है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की खंडपीठ ने केंद्र, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की सरकारों को नोटिस जारी किया और राज्य सरकारों को किसानों के लिए विरोध स्थल निर्धारित करने के लिए कहा।
पीठ विरोध प्रदर्शनों के संबंध में दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहली याचिका में आंदोलनकारियों को राज्य में प्रवेश करने और दिल्ली जाने से रोकने के लिए अपनी सीमाएं सील करने के हरियाणा सरकार के फैसले की आलोचना की गई है, जबकि दूसरी जनहित याचिका प्रदर्शनकारियों के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अनधिकृत रूप से राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया है।
सुनवाई के दरमियान कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को भारत का नागरिक होने के नाते देश में स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार है। हालांकि, साथ ही यह भी कहा गया कि राज्य सरकार का भी कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों की रक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि उन्हें कोई असुविधा न हो।
कोर्ट ने कहा, "भाषण और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए, किसी भी अधिकार अलग-थलग नहीं रखा जा सकता है। सावधानी को ध्यान में रखा जाना चाहिए और मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए...वर्तमान विवाद में सभी पक्षों को बैठकर बातचीत करने का प्रयास करना चाहिए और समस्या का समाधान करें और राज्यों द्वारा विरोध करने के लिए क्षेत्र की पहचान की जानी चाहिए।"
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि जहां तक एमएसपी का सवाल है, केंद्र सरकार बातचीत के लिए तैयार है। मामले को अगली सुनवाई के लिए गुरुवार, 15 फरवरी को सूचीबद्ध किया गया है। राज्यों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिया गया है।
पहली याचिका चंडीगढ़ स्थित वकील उदय प्रताप सिंह ने दायर की है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की "अवरोधक कार्रवाइयों" को चुनौती दी गई है, जिसमें हरियाणा और पंजाब के बीच सीमा को सील करना और हरियाणा के कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और थोक एसएमएस को निलंबित करना शामिल है।
दूसरी ओर, दूसरी याचिका पेशे से वकील अरविंद सेठ ने दायर की है, जिसमें राज्यों, केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि पंजाब और हरियाणा राज्य में पड़ने वाले सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग और रेलवे ट्रैक अवरुद्ध न हों। किसानों के विरोध और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के अनुसार उक्त आंदोलनकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।
केस टाइटलःउदय प्रताप सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य