दिल्ली हाईकोर्ट ने जज एस मुरलीधर के खिलाफ ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना मामले में आनंद रंगनाथन के खिलाफ कार्यवाही बंद की
Shahadat
3 Jan 2024 3:21 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व जज मुरलीधर के खिलाफ 2018 में किए गए कुछ ट्वीट्स के संबंध में अदालत द्वारा शुरू किए गए स्वत: संज्ञान मामले के संबंध में लेखक आनंद रंगनाथन के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही बंद कर दी।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि न्यायाधीश के खिलाफ "अवमाननापूर्ण आरोपों" के मूल सर्जक, जिनमें तमिल राजनीतिक साप्ताहिक तुगलक के संपादक और आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री शामिल हैं, उनको पहले ही बरी कर दिया गया।
यह मामला भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी और ट्रांजिट रिमांड का आदेश रद्द करने के उनके आदेश के संबंध में जस्टिस मुरलीधर के खिलाफ किए गए कुछ ट्वीट्स से संबंधित है।
स्वत: संज्ञान मामले में कार्यवाही बंद करते हुए पीठ ने कहा कि गुरुमूर्ति और अग्निहोत्री को बिना शर्त माफी मांगने के बाद क्रमशः 2019 और 2023 में बरी कर दिया गया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
पीठ ने आगे कहा कि रंगनाथन और अन्य कथित अवमाननाकर्ता, जिन्हें बाद में मामले में शामिल किया गया, अवमाननापूर्ण आरोपों के आरंभकर्ता नहीं हैं। उन्होंने केवल ट्वीट शुरू करने वालों के बोलने के अधिकार का समर्थन किया था।
अदालत ने कहा कि चूंकि इस मामले में अवमाननापूर्ण आरोपों के आरंभकर्ता को बरी कर दिया गया, इसलिए अन्य कथित अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ आगे की कार्यवाही शुरू करना सरासर न्यायिक समय की बर्बादी है।
अदालत ने कहा,
"इसलिए हम कार्यवाही बंद करते हैं।"
पीठ ने कहा कि रंगनाथन ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने गुरुमूर्ति द्वारा किए गए ट्वीट का समर्थन किया नहीं किया। उन्होंने केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार का समर्थन किया, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में निहित है।
इसके अलावा, हलफनामे के माध्यम से बिना शर्त माफी मांगने के बाद अदालत ने स्वराज्य पत्रिका को बरी कर दिया।
रंगनाथन की ओर से पेश वकील जे साई दीपक ने कहा कि उनका मुवक्किल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का निरपेक्षवादी है। उसने जज के खिलाफ विवाद के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी या ट्वीट नहीं किया। उन्होंने कहा कि रंगनाथन ने केवल गुरुमूर्ति के टिप्पणी करने के अधिकार का समर्थन किया, न कि टिप्पणी का।
इसके अलावा, दीपक ने कहा कि यह दिखाने के लिए एक भी ट्वीट रिकॉर्ड में नहीं रखा गया कि रंगनाथन ने कथित रूप से अपमानजनक ट्वीट को रीट्वीट किया या उसे दोबारा शेयर किया।
दीपक ने कहा,
“वह यह पद लेने का हकदार है कि वह फ्री स्पीच निरपेक्षवादी है। जब तक वह यह रुख नहीं अपनाते कि गुरुमूर्ति ने आरोप के संबंध में जो कुछ भी कहा, मैं उससे सहमत हूं, तब तक वह अवमानना का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं...''
कार्यवाही तब शुरू की गई जब सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव ने अदालत को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि ट्वीट हाईकोर्ट के मौजूदा जज पर हमला करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है।
पिछले साल अप्रैल में अदालत ने फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री, जो अन्य अवमाननाकर्ता हैं, उनको व्यक्तिगत रूप से पेश होने, पश्चाताप व्यक्त करने और बिना शर्त माफी मांगने के बाद इस मामले से बरी कर दिया था।
सितंबर, 2022 में कोर्ट ने स्वराज्य न्यूज पोर्टल, आनंद रंगनाथन और मामले में पेश नहीं होने वाले अन्य लोगों के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
केस टाइटल: कोर्ट इन इट्स ओन बनाम एस गुरुमूर्ति