कर्नाटक हाईकोर्ट ने 'खतरनाक और क्रूर' कुत्तों की 23 नस्लों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के सर्कुलर को रद्द किया

LiveLaw News Network

10 April 2024 10:26 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने खतरनाक और क्रूर कुत्तों की 23 नस्लों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के सर्कुलर को रद्द किया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से जारी उस सर्कुलर को रद्द कर दिया, जिसमें कुत्तों की कुछ नस्लों को क्रूर और खतरनाक मानते हुए पालने से रोक दिया गया था।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने कहा,

    “दिल्ली हाईकोर्ट, जहां से आक्षेपित कार्रवाई की गई है, ने यूनियन ऑफ इंडिया के अंडरटेकिंग को दर्ज किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे सभी हितधारकों को सुनेंगे। हालांकिक यह एक स्वीकृत तथ्य है कि किसी भी हितधारक की बात नहीं सुनी गई है। समिति की संरचना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत बनाए गए नियम के अनुरूप नहीं है। यूनियन ऑफ इंडिया उचित रूप से गठित समिति की उचित सिफारिश के बिना प्रतिबंध नहीं लगा सकता था।''

    कोर्ट ने कहा कि "पूर्ण प्रतिबंध" प्रचलित नियमों के खिलाफ है, हालंकि यह स्पष्ट किया कि सर्कुलर को रद्द करने का फैसला पशु क्रूरता निवारण, 1960 के तहत बनाए गए किसी भी नियम में संशोधन करने में केंद्र सरकार के आड़े नहीं आएगा, हालांकि ऐसा कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए किया जाए।

    कोर्ट ने कहा, नया कानून आने की स्थिति में हितधारकों को सुना जाएगा। हितधारक का मतलब हर पालतू जानवर का मालिक नहीं होगा, बल्कि एक संगठन प्रमाणित करेगा कि नस्लों की सुनवाई पर्याप्त होगी, जिस कंपनी पेटा ने हस्तक्षेप की मांग की है, उसे केंद्र सराकर सुनेगी...

    उल्लेखनीय है कि मामले में अदालत ने 8 अप्रैल को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से जारी परिपत्र के खिलाफ याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था।

    मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि सभी हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए और उन्होंने सत्यापित किया है कि वैधानिक हितधारकों से परामर्श किया गया था, हालांकि इसे नागरिक समाज के निकायों तक बढ़ाया जाना चाहिए, जो ब्रीडर्स संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। एएसजी ने सभी आवश्यक हितधारकों से परामर्श करने के बाद इस अभ्यास को फिर से करने का बीड़ा उठाया।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील स्वरूप आनंद आर ने तर्क दिया कि मंत्रालय की ओर से गठित तकनीकी विशेषज्ञ समिति में एक भी डोमेन विशेषज्ञ नहीं था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण का AQCS उस समिति का हिस्सा है, हालांकि वह बीमारी की रोकथाम के लिए जानवरों को क्वारंटाइन करने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक प्रशिक्षण के संदर्भ में बड़े कुत्तों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए जाने चाहिए और याचिकाकर्ता इसका समर्थन करेंगे।

    सर्कुलर में कुत्तों की जिन नस्लों पर प्रतिबंध लगाया गया है, वे हैं-मिश्रित और क्रॉस ब्रीड्स नस्लें जैसे पिटबुल टेरियर, टोसा इनु, अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलीरो, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोअरबेल, कांगल, सेंट्रल एशियन शेफर्ड डॉग (ओवचार्का), कोकेशियान शेफर्ड कुत्ता (ओवचार्का), साउथ रस‌ियन शेफर्ड कुत्ता (ओवचर्का), टॉर्नजैक, सरप्लानिनैक, जापानी टोसा और अकिता, मास्टिफ़्स (बोअरबुल्स), रॉटवीलर, टेरियर्स, रोडेशियन रिजबैक, वुल्फ डॉग, कैनारियो, अकबाश कुत्ता, मॉस्को गार्ड कुत्ता, केन कोरो और उस प्रकार का प्रत्येक कुत्ता, जिसे आमतौर पर बैन डॉग (या बैंडोग) के नाम से जाना जाता है।

    सर्कुलर में उन लोगों से अपेक्षा की गई है, जिन्होंने उपरोक्त नस्ल के कुत्तों को पालतू जानवर के रूप में पाला है, कि उन्हें अपने पालतू जानवरों की नसबंदी करनी होगी और आगे प्रजनन बंद करना होगा।

    केस टाइटल: किंग सोलोमन डेविड और अन्य और संयुक्त सचिव

    केस साइटेशन: 2024 लाइव लॉ (कर) 170

    केस नंबर: WP 8409/2024

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