इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी को क्लाउड 9 परियोजनाओं के प्रमोटरों की जांच का निर्देश दिया, कहा- अवैधताओं के कारण कॉर्पोरेट पर्दे के पीछे की वास्तविकता की जांच की जानी चाहिए

LiveLaw News Network

1 March 2024 1:14 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी को क्लाउड 9 परियोजनाओं के प्रमोटरों की जांच का निर्देश दिया, कहा- अवैधताओं के कारण कॉर्पोरेट पर्दे के पीछे की वास्तविकता की जांच की जानी चाहिए

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी कंपनी की अलग कानूनी पहचान की अवधारणा व्यापार और वाणिज्य को प्रोत्साहित करने के लिए थी, न कि निदेशकों के लिए गैरकानूनी काम करने और लोगों को धोखा देने के लिए।

    कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत उन सभी निदेशकों/प्रमोटरों या नामित प्रमोटरों/अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जिन्होंने ड‌िफॉल्ट किए हैं और उन कंपनियों/अन्य संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के का निर्देश दिया, जिनमें मेसर्स क्लाउड 9 प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड से पैसा को जमा किया गया है।

    जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने पाया कि न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) ने क्लाउड 9 प्रोजेक्ट्स द्वारा की गई अवैधताओं के खिलाफ अपनी आंखें बंद रखीं और पट्टे समझौते के अनुसार पट्टा रद्दीकरण खंड को लागू नहीं किया।

    कोर्ट ने कहा, "जाहिर तौर पर नोएडा प्राधिकरण की घोर विफलता थी और असहाय घर खरीदारों के अधिकारों की रक्षा करने में उनके कर्तव्यों का पूर्ण त्याग था।"

    कोर्ट ने पाया कि क्लाउड 9 के निदेशकों/प्रमोटरों का इरादा नोएडा के साथ-साथ घर-खरीदारों को धोखा देने का था। न्यायालय ने पाया कि आशीष गुप्ता और उनके परिवार के पास क्लाउड 9 में 70% शेयर सीधे या कंपनियों के माध्यम से थे। कोर्ट ने कहा कि वे परियोजना में सक्रिय रूप से शामिल थे, धन इकट्ठा कर रहे थे और उसे अन्य कंपनियों को हस्तांतरित कर रहे थे। न्यायालय ने माना कि इस्तीफा देकर, निदेशक केवल खुद को अलग-अलग न्यायिक व्यक्तित्व होने से बचाने की कोशिश कर रहे थे।

    न्यायालय ने माना कि अलग कॉर्पोरेट इकाई और अलग कानूनी व्यक्तित्व का पर्दा अनुल्लंघनीय या अभेद्य नहीं है। न्यायालय ने माना कि पर्दा/ढाल को सार्वजनिक हित में हटाया जा सकता है जहां लेनदेन कर से बचने या वैधानिक अधिकारियों को उनके वैध बकाया से वंचित करने के इरादे से किया गया है।

    न्यायालय ने पाया कि न्यायालय द्वारा उन स्थितियों में कुछ अपवाद बनाए गए हैं जहां कंपनी के निदेशकों या अधिकारियों को उसके कार्यों के लिए उत्तरदायी ठहराने के लिए कॉर्पोरेट पर्दे को भेदा जा सकता है।

    केस टाइटलः आशीष गुप्ता बनाम यूपी राज्य और 5 अन्य [WRIT - C No. - 25554 of 2019]


    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story