प्रथम दृष्टया बेतुका: गुजरात हाइकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा असत्यापित तस्वीरों से महिला की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और भरण-पोषण देने से इनकार करने पर कहा

Amir Ahmad

22 April 2024 11:43 AM GMT

  • प्रथम दृष्टया बेतुका: गुजरात हाइकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा असत्यापित तस्वीरों से महिला की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और भरण-पोषण देने से इनकार करने पर कहा

    गुजरात हाइकोर्ट ने परित्यक्त महिला के भरण-पोषण के आवेदन को धारा 125 सीआरपीसी के तहत खारिज करने के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रथम दृष्टया टिप्पणियां की हैं

    महिला की वित्तीय स्थिति और कुछ असत्यापित तस्वीरों से आंकी गई कथित भव्य जीवनशैली के आधार पर यह आदेश दिया गया।

    मामले की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस जेसी दोशी ने कहा,

    "फैमिली जज ने पृष्ठ 38, विशेष रूप से पैरा 15.13 से 15.19 में कुछ अजीब निष्कर्ष दर्ज किए, जिसमें परित्यक्त महिला के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण से इनकार करने के लिए असत्यापित तस्वीरों का हवाला दिया गया, जो न तो प्रदर्शित की गईं और न ही साबित हुईं।"

    मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स के अनुसार याचिकाकर्ता हिमाक्षीबेन ने सुरेशभाई से विवाह किया, लेकिन सुरेशभाई ने याचिकाकर्ता को दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया और बाद में उसे छोड़ दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने गांधीनगर के फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण के लिए आवेदन दायर किया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।

    इसके बाद उसने हाइकोर्ट के समक्ष तत्काल अपील की। ​​उसने तर्क दिया कि भरण-पोषण से इनकार करने का फैमिली कोर्ट का निर्णय इस गलत धारणा पर आधारित था कि वह शानदार जीवनशैली जीती है।

    उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीआरपीसी की धारा 125 के अनुसार पत्नी को भरण-पोषण पाने के लिए केवल परित्याग साबित करना होता है। चाहे उसकी जीवनशैली कैसी भी हो। उन्होंने तर्क दिया कि उसकी जीवनशैली का न्याय करने के लिए तस्वीरों पर निर्भर रहना अन्यायपूर्ण है। खासकर तब जब उसे उसके पति ने बिना किसी कारण के छोड़ दिया हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि अदालत का निष्कर्ष गलती भरा है और इसे पलट दिया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    “फैमिली जज का मानना ​​​है कि याचिकाकर्ता हाई-प्रोफाइल जीवन जी रहा है। प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष पूरी तरह से बेतुका और साक्ष्य अधिनियम के सिद्धांतों के साथ-साथ संहिता की धारा 125 के दायरे दायरे और उद्देश्य का अपमान प्रतीत होता है। इसलिए वर्तमान आपराधिक पुनर्विचार आवेदन सुनवाई योग्य है।”

    जस्टिस दोशी ने टिप्पणी की और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 12.6.2024 को सूचीबद्ध किया।

    केस टाइटल- हिमाक्षीबेन पत्नी अक्षय सुरेशभाई पंचाल पत्नी नरसिंहभाई हवसीभाई ठाकोर बनाम गुजरात राज्य और अन्य।

    Next Story