सूरत बलात्कार मामला: बीमार मां से मिलने के लिए नारायण साईं की अस्थायी ज़मानत याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा

Amir Ahmad

12 Sept 2025 1:10 PM IST

  • सूरत बलात्कार मामला: बीमार मां से मिलने के लिए नारायण साईं की अस्थायी ज़मानत याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा

    गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार (12 सितंबर) को राज्य सरकार से नारायण साईं द्वारा दायर उस याचिका पर निर्देश प्राप्त करने को कहा, जिसमें उन्होंने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए अस्थायी ज़मानत की मांग की।

    नारायण साईं को 2019 में बलात्कार के मामले में सेशन कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

    नारायण साईं की ओर से पेश हुए वकील ने जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस पीएम रावल की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि हाल ही में आवेदक की माँ को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

    वकील ने कहा,

    "माँ के स्वास्थ्य के संबंध में मौजूदा परिस्थितियां हैं।"

    इसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से राज्य के वकील को मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा और मामले की सुनवाई 16 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।

    जून में हाईकोर्ट ने नारायण साईं को उनके पिता आसाराम बापू से मिलने के लिए मानवीय आधार पर 5 दिनों की अस्थायी ज़मानत दी थी। आसाराम की मेडिकल स्थिति और इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि पिता और पुत्र व्यक्तिगत रूप से उनसे नहीं मिल पाए।

    खंडपीठ ने 20 जून के अपने आदेश में कहा था,

    "आवेदन और प्रस्तुतीकरण में दिए गए विशिष्ट तथ्यों, परिस्थितियों और आधारों तथा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आवेदक-दोषी 2013 से जेल में है। पहले भी जब उसे पुलिस निगरानी में अस्थायी ज़मानत पर रिहा किया गया तब किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली थी। इसलिए मानवीय आधार पर दोषी के पिता की मेडिकल स्थिति को ध्यान में रखते हुए, जिन्हें गांधीनगर और जोधपुर सेशन कोर्ट ने भी बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया और वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। आवेदक-दोषी और उसके पिता की गिरफ्तारी के बाद से अलग-अलग जेलों के कारण दोनों के व्यक्तिगत रूप से मिलने का कोई अवसर नहीं था, हम अपने न्यायिक विवेक का प्रयोग करते हुए आवेदक-दोषी को उसकी रिहाई की तारीख से 5 दिनों की अवधि के लिए पुलिस निगरानी में अस्थायी ज़मानत पर रिहा करने के लिए इच्छुक हैं।"

    हाईकोर्ट ने तब स्पष्ट किया था कि साईं को अपने अनुयायियों या अपने पिता के अनुयायियों से समूह में मिलने की अनुमति नहीं होगी।

    साईं को सूरत के सेशन कोर्ट ने 30 अप्रैल 2019 को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(एफ) (महिला का रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक, या उसके प्रति विश्वास या अधिकार की स्थिति में कोई व्यक्ति, उस महिला के साथ बलात्कार करता है) 376(K) (मानसिक या शारीरिक विकलांगता से पीड़ित महिला के साथ बलात्कार करता है) 376(एन) (एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार करता है) 377 (अप्राकृतिक अपराध), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना) धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना) और धारा 506(2) (आपराधिक धमकी) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।

    उन्हें आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी और वे दिसंबर 2013 से जेल में बंद हैं।

    गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने अलग बलात्कार मामले में आवेदक के पिता आसाराम बापू को 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। अन्य बलात्कार मामले में गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष आसाराम बापू की अस्थायी ज़मानत याचिका 22 सितंबर को सूचीबद्ध है।

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