ऑनलाइन गवाही, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से रिमांड और अधिक: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक संचार और सुनवाई के लिए नियम जारी किए
Amir Ahmad
24 Jun 2025 7:08 AM

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में (20 जून) इलेक्ट्रॉनिक संचार और ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के उपयोग के लिए नियम अधिसूचित किए। इन नियमों का उद्देश्य न्यायिक कार्यवाही में देरी को रोकना है, जो आमतौर पर पक्षकारों, वकीलों, गवाहों या अभियुक्तों की शारीरिक अनुपस्थिति के कारण होती है।
यह उल्लेखनीय है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 530 यह प्रावधान करती है कि सभी मुकदमे, जांच व कार्यवाहियां — जिसमें शिकायतकर्ता व गवाहों की जिरह, साक्ष्य दर्ज करना, अपील कार्यवाही व अन्य प्रक्रियाएं शामिल हैं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से की जा सकती हैं।
नियमों को संविधान के अनुच्छेद 227 तथा BNSS के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों के तहत लागू किया गया।
नियमों की मुख्य बातें:
नियम 4.1
सभी मुकदमे, जांच और कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित की जा सकती हैं, जिसमें शिकायतकर्ता व गवाहों की पूछताछ, साक्ष्य दर्ज करना, अपील और अन्य न्यायिक कार्यवाहियां शामिल हैं।
नियम 5
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य ऑडियो-वीडियो संचार माध्यमों का उपयोग, जब कोई व्यक्ति भौतिक रूप से अदालत में उपस्थित नहीं हो सकता, सभी चरणों में किया जा सकता है।
नियम 6
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए उपस्थित होने वाले व्यक्ति को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान पत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि उपलब्ध न हो तो अदालत की संतुष्टि पर बिना पहचान पत्र के भी भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है।
नियम 9(1):
कोर्ट पॉइंट और रिमोट पॉइंट दोनों पर समन्वयक (Coordinator) नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, रिमोट पॉइंट पर समन्वयक की आवश्यकता केवल तब होगी जब गवाह या अभियुक्त की गवाही ली जानी हो।
नियम 11: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अनुरोध (Schedule-II)
1. दंड प्रक्रिया (क्रिमिनल मामलों) में: किसी भी पक्ष या गवाह को, कोर्ट या लोक अभियोजक की ओर से प्रारंभ मामलों को छोड़कर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कार्यवाही हेतु अनुरोध करने का अधिकार होगा।
2. दीवानी मामलों (सिविल): कोर्ट स्वविवेक से या किसी पक्ष के अनुरोध पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई प्रारंभ कर सकती है।
3. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति देते समय, कोर्ट समय व तारीख निर्धारित कर सकती है।
4. वकील अपने स्थान से गवाही या दलीलें देने हेतु अनुरोध कर सकते हैं।
5. यदि मौखिक बहस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रही हो, तो कोर्ट वकील या पक्षकार से लिखित दलीलें व मिसालें पहले से जमा करवाने के निर्देश दे सकती है।
नियम 16:
कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसी अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दे सकती है (BNSS की धारा 187 के अनुसार)। यदि अभियुक्त पहले से न्यायिक हिरासत में है तो कोर्ट उसे BNSS की धारा 346(2) के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आगे भी रिमांड पर भेज सकती है।
नियम 23: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की लागत
दंड मामलों में: वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग से संबंधित सभी खर्च- जैसे कोर्ट रिकॉर्ड की सॉफ्ट/प्रमाणित प्रतियां, अनुवादक/व्याख्याकार/विशेष शिक्षक की फीस आदि- कोर्ट के निर्देशानुसार संबंधित पक्ष वहन करेगा।
कोर्ट आवश्यकतानुसार अन्य खर्चों का निर्धारण कर सकती है।
विशेष परिस्थितियों में कोर्ट खर्चों को माफ भी कर सकती है।
नियम 24: विधिक सहायता क्लीनिक/शिविर/लोक अदालत/जेल अदालत तक पहुंच-
1. विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 व अन्य प्रावधानों के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति जेल में है और उसे लोक अदालत या जेल अदालत में पेश होना है, तो उसे DLSA के
चेयरमैन/सेक्रेटरी या लोक अदालत के सदस्य द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुना जाएगा।
2. ऐसे मामलों में दिया गया आदेश या निर्णय उसी प्रकार वैध होगा, जैसे वह नियमित लोक अदालत द्वारा पारित किया गया हो।
3. आदेश की प्रति और कार्यवाही का रिकॉर्ड रिमोट पॉइंट पर भेजा जाएगा।
इन नियमों के साथ दो अनुसूचियां और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हेतु एक सूचना फॉर्म का प्रारूप भी निर्धारित किया गया।