गुवाहाटी हाईकोर्ट ने आरक्षित वन भूमि पर कथित अवैध कब्जे की जनहित याचिका की सुनवाई बंद की, कहा- जांच में कोई गड़बड़ी नहीं मिली

Amir Ahmad

30 April 2025 11:14 AM IST

  • गुवाहाटी हाईकोर्ट ने आरक्षित वन भूमि पर कथित अवैध कब्जे की जनहित याचिका की सुनवाई बंद की, कहा- जांच में कोई गड़बड़ी नहीं मिली

    ईटानगर स्थित गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सोमवार (28 अप्रैल) को ऩमसाई वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में कथित अवैध भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र (Land Possession Certificates) / अनापत्ति प्रमाणपत्र (No Objection Certificates) के जारी होने के संबंध में दायर जनहित याचिका (PIL) को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि सरकार द्वारा कराई गई जांच में कोई अवैधता नहीं पाई गई।

    चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस कार्दक एते की खंडपीठ ने कहा,

    हम यह मानते हैं कि चूंकि प्रतिवादियों ने पहले ही नमसाई वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में भूमि स्वामित्व/अनापत्ति प्रमाणपत्रों के जारी किए जाने की कथित अवैधता की जांच कराई और जांच रिपोर्ट के अनुसार कोई अवैधता नहीं पाई गई। याचिकाकर्ता की ओर से अब तक उस रिपोर्ट पर कोई प्रत्युत्तर दाखिल नहीं किया गया। इसलिए इस जनहित याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है। अतः इसे निस्तारित किया जाता है।”

    याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका दाखिल कर यह निर्देश देने की मांग की थी कि संबंधित सरकारी अधिकारियों को विभिन्न व्यक्तियों को जारी किए गए भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र, अनापत्ति प्रमाणपत्र और भूमि उपलब्धता प्रमाणपत्र रद्द किए जाएं और आगे कोई भी ऐसा प्रमाणपत्र नमसाई वन क्षेत्र में जारी न किया जाए। साथ ही कोर्ट से यह भी प्रार्थना की गई थी कि जब तक याचिका का निपटारा नहीं हो जाता तब तक वन क्षेत्र में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए।

    पूर्व की सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया था कि मामले में एक जांच कराई है और जांच में यह निष्कर्ष निकला कि नमसाई आरक्षित वन क्षेत्र में प्रमाणपत्रों के जारी होने में कोई अवैधता नहीं हुई और सभी कार्य कानून के अनुसार ही किए गए हैं।

    दिसंबर 2024 में याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका को वापस लेने हेतु आवेदन दिया और जांच रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए नई कार्यवाही दायर करने की स्वतंत्रता मांगी। हालांकि, कोर्ट ने यह अनुमति नहीं दी और यह स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को जांच रिपोर्ट पर कोई आपत्ति है तो वह अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करके अपनी आपत्ति उसी याचिका में दर्ज करा सकता है।

    28 अप्रैल की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोई पेश नहीं हुआ।

    कोर्ट ने जनहित याचिका का निपटारा कर दिया कि जांच रिपोर्ट के अनुसार प्रमाणपत्रों के जारी होने में कोई अवैधता नहीं हुई और अब तक याचिकाकर्ता की ओर से उस रिपोर्ट पर कोई आपत्ति दाखिल नहीं की गई।

    केस टाइटल: AATRPRAC बनाम भारत संघ एवं अन्य 7 प्रतिवादी

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