बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए मज़बूत नीति और नियमित प्रशिक्षण जरूरी: गुवाहाटी हाईकोर्ट
Amir Ahmad
30 May 2025 1:49 PM IST

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में बच्चों को यौन हिंसा और शोषण से बचाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए।
जस्टिस कौशिक गोस्वामी की एकल पीठ ने कहा कि संविधान के तहत राज्य का यह कर्तव्य है कि वह बच्चों की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे अपनी कोमल उम्र के कारण अक्सर यौन शिकार का आसान लक्ष्य बन जाते हैं, और कई बार वे सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श में अंतर भी नहीं कर पाते।
ऐसे में यह आवश्यक है कि बाल संरक्षण से जुड़े सभी पक्ष सरकारी कर्मचारी, बाल कल्याण संस्थान और स्कूल सजग और कड़े कदम उठाएं ताकि बच्चों को यौन हिंसा से पूरी तरह सुरक्षित किया जा सके।
अदालत ने सुझाव दिया कि प्रत्येक स्कूल, चाहे वह सरकारी हो या निजी, एक सशक्त बाल संरक्षण नीति बनाए और उस पर अमल करे। इसके साथ ही, स्कूलों में समय-समय पर स्टाफ, अभिभावकों और छात्रों के लिए बाल यौन शोषण से जुड़ी जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
शिक्षा विभाग को भी स्कूल पाठ्यक्रम में बाल संरक्षण से जुड़ी जानकारी को शामिल करने की सलाह दी गई ताकि बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार उनके अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जा सके।
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि बाल संरक्षण से जुड़े अन्य विभाग जैसे कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, जिला बाल संरक्षण इकाई, विशेष किशोर पुलिस इकाई और विधिक सेवा प्राधिकरण स्कूलों और समुदायों में जागरूकता अभियान चलाएं।
इस कार्य में एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद ली जा सकती है। साथ ही जनसंचार माध्यमों जैसे टेलीविजन और रेडियो से भी बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम और लघु फिल्में चलाने की सिफारिश की गई।
अदालत ने यह भी कहा कि अगर इन उपायों को पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से लागू किया जाए तो बच्चों को यौन शोषण के खतरे से प्रभावी रूप से बचाया जा सकता है। इस मामले में मिजोरम सरकार के मुख्य सचिव को आदेश की प्रति भेजी गई है ताकि आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
यह आदेश उस आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें निचली अदालत ने एक आरोपी को POCSO Act की धारा 6 के तहत 10 साल की कठोर सजा और 5000 जुर्माने की सजा दी थी। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि पीड़िता का बयान पूर्णतः विश्वसनीय और स्पष्ट था, और आरोपी की सजा में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है।
अदालत ने यह भी चिंता जताई कि मिजोरम राज्य में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यदि इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो बच्चों की सुरक्षा और भलाई गंभीर संकट में पड़ जाएगी।

