महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुषों जैसी कठोर चयन प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए: गुवाहाटी हाईकोर्ट, राज्य को दी आरक्षण नीति पर सलाह
Amir Ahmad
28 Nov 2025 5:08 PM IST

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती विज्ञापन में ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुष अभ्यर्थियों के साथ क्लब किए जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुष उम्मीदवारों जैसी कठोर चयन प्रक्रिया से नहीं गुजारा जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि भविष्य की भर्तियों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अधिक समावेशी और न्यायसंगत नीति अपनाई जाए।
यह मामला उस भर्ती विज्ञापन से जुड़ा था, जिसमें सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल पदों के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का कोटा तो निर्धारित किया गया लेकिन उनकी सीटों को पुरुष उम्मीदवारों की श्रेणी में शामिल कर दिया गया। इस कारण महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुषों जैसे ही शारीरिक मानकों और कठोर परीक्षणों से गुजरना पड़ता। विज्ञापन के परिणामस्वरूप एक भी ट्रांसजेंडर उम्मीदवार ने आवेदन नहीं किया।
याचिका में कहा गया कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग सीटें निर्धारित की जानी चाहिए और उनके भीतर भी पुरुष ट्रांसजेंडर और महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवार अपनी पहचान के अनुसार चयन प्रक्रिया में भाग ले सकें। अदालत के समक्ष राज्य ने जानकारी दी कि ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव कैबिनेट के अनुमोदन के लिए भेजा गया और मंजूरी के बाद उन्हें शिक्षा और रोजगार दोनों में आरक्षण मिलेगा।
खंडपीठ ने कहा कि कैबिनेट से प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद भर्ती संस्थाओं का दायित्व होगा कि वे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए विशेष सीटों का आवंटन सुनिश्चित करें और चयन प्रक्रिया को उनकी शारीरिक एवं सामाजिक वास्तविकताओं के अनुरूप बनाया जाए। अदालत ने सुझाव दिया कि पुरुष ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को पुरुषों जैसे और महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को महिलाओं जैसे मानकों पर परखा जाना अधिक उपयुक्त होगा।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के नवतेज सिंह जौहर (2018) और NALSA (2014) के महत्वपूर्ण निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय की गरिमा और समानता की रक्षा करना राज्य का संवैधानिक दायित्व है। समाज में उनकी पूर्ण सहभागिता और रोजगार तक उनकी सहज पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अभी भी विशेष कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई में बताएं कि पुरुष और महिला ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों की स्थिति पर क्या नीति बनाई जा रही है और भविष्य की भर्तियों को समावेशी बनाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

