यमुना नदी ने सीमा पार कर ली है, इसके जीर्णोद्धार में हस्तक्षेप उचित नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

Amir Ahmad

3 March 2025 8:20 AM

  • यमुना नदी ने सीमा पार कर ली है, इसके जीर्णोद्धार में हस्तक्षेप उचित नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी सीमा पार कर चुकी है और इसके जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार में किसी भी तरह का हस्तक्षेप उचित नहीं है।

    जस्टिस धर्मेश शर्मा ने कहा,

    "यमुना नदी की वर्तमान स्थिति सीमा पार कर चुकी है, जहां इसके जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार प्रयासों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप चाहे मानवीय या सहानुभूतिपूर्ण विचारों की आड़ में उचित नहीं ठहराया जा सकता।"

    न्यायालय दिल्ली-2021 के मास्टर प्लान के जोन 'ओ' यानी यमुना बाढ़ क्षेत्र में आने वाले यमुना खादर क्षेत्र में काम करने वाली नर्सरी कल्याण एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था।

    एसोसिएशन दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा उनकी नर्सरी उखाड़ने और बुलडोजर से सभी पौधों को नष्ट करने की कार्रवाई से व्यथित था।

    यह दावा किया गया कि DDA द्वारा एसोसिएशन के सदस्यों को सुनवाई का अवसर दिए बिना और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के 2019 के निर्देशों के अनुसार विषय भूमि का भौतिक सीमांकन किए बिना उक्त ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया।

    जस्टिस शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता विषय भूमि पर बेदखली से सुरक्षा प्रदान किए जाने के लिए कोई उचित और न्यायोचित आधार प्रदर्शित करने में बुरी तरह विफल रहे।

    न्यायालय ने कहा,

    "पर्यावरण के संरक्षक होने की घोषणा करके इस न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरने के एक तुच्छ प्रयास के अलावा याचिकाकर्ताओं ने इस न्यायालय को यह विश्वास दिलाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी ठोस या वैध नहीं लाया है कि वे विषय भूमि पर कब्जा जारी रखने के हकदार हैं या उस मामले के लिए प्रतिवादियों द्वारा पुनर्वास के हकदार हैं।"

    इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने विभिन्न आदेशों में दोहराया कि यमुना के डूब क्षेत्र को निर्माण कब्जे या निवास के लिए अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यमुना डूब क्षेत्र की प्राकृतिक विशेषताओं और पारिस्थितिकी को बनाए रखना DDA का कर्तव्य है।

    न्यायालय ने कहा कि विचाराधीन भूमि जोन- 'ओ' के लिए क्षेत्रीय विकास योजना के अंतर्गत आती है और सुप्रीम कोर्ट तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा पारित निर्देशों के अनुसार व्यापक जनहित में इसे अतिक्रमण से मुक्त किया जाना आवश्यक है।

    न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

    “यमुना नदी की वर्तमान स्थिति उस सीमा को पार कर चुकी है, जहां इसके कायाकल्प और जीर्णोद्धार के प्रयासों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप - चाहे वह मानवीय या सहानुभूतिपूर्ण विचारों की आड़ में हो - उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह का कोई भी हस्तक्षेप केवल पूर्वोक्त सार्वजनिक परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न करेगा और देरी करेगा।”

    टाइटल: हरित नर्सरी वेलफेयर एसोसिएशन (पंजीकृत) एवं अन्य बनाम दिल्ली विकास प्राधिकरण एवं अन्य।

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