दिल्ली हाईकोर्ट का अवलोकन: दृष्टि दोष से पीड़ित अधिकारी का सेना में शामिल होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
Amir Ahmad
11 Oct 2025 12:21 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि भारतीय सेना में दृष्टि दोष से पीड़ित किसी अधिकारी का शामिल होना देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है।
जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने एनडीए और नौसेना अकादमी परीक्षा (II) 2024 में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले उमा महेश्वरा शास्त्री दुर्बका को राहत देने से इनकार किया।
दुर्बका ने अपनी सेवा के लिए सेना, वायु सेना, नौसेना अकादमी और नौसेना को वरीयता दी थी। उन्होंने बेंगलुरु के एयर कमोडोर, कमांडेंट अस्पताल द्वारा जारी उस पत्र को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें सेना में भर्ती के लिए अयोग्य घोषित किया गया।
दुर्बका ने लिखित परीक्षा और साक्षात्कार उत्तीर्ण कर लिया, लेकिन उन्हें एक्सेसरी निप्पल (Lb) के कारण चिकित्सा परीक्षा में असफल होने की सूचना दी गई। उनका दावा था कि उन्हें मौखिक रूप से बताया गया कि वह सेना के लिए फिट हैं। हालांकि, दाहिनी आंख में निम्न-मानक दृष्टि के कारण नौसेना के लिए अयोग्य हैं। बाद में जब उन्होंने नौसेना के लिए अयोग्य पाए जाने के खिलाफ अपील की तो कमांड अस्पताल (एएफ) बेंगलुरु ने उन्हें सेना और नौसेना दोनों के लिए अयोग्य पाया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनकी दोनों आंखों में दृष्टि है। हालांकि, उन्हें सूचित किया गया कि आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में आयोजित अपील चिकित्सा बोर्ड और समीक्षा मेडिकल बोर्ड ने उनकी अपील को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अपील मेडिकल बोर्ड और रिव्यू मेडिकल बोर्ड द्वारा दाहिनी आंख में सेंट्रल नेबुलर कॉर्नियल ओपेसिटी की लगातार मेडिकल रिपोर्टों को देखते हुए वह इस मामले में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
“मुकुंद (याचिकाकर्ता के वकील) ने हमें यह समझाने की ईमानदारी से कोशिश की कि मौजूदा निर्देशों के अनुसार उनके मुवक्किल जिस दोष से पीड़ित हैं। वह सेना में प्रवेश के लिए अयोग्यता नहीं है यह दलील हमें स्वीकार्य नहीं है। वास्तव में निर्देश स्पष्ट रूप से बताते हैं कि दृष्टि में कोई भी दोष अयोग्यता के रूप में काम करेगा।"
न्यायालय ने आगे कहा कि जब कोर्ट सेना में भर्ती विशेष रूप से दृष्टि की समस्या से जुड़े मामलों से निपट रहा होता है तो उसे अत्यंत सावधानी बरतनी होती है।
कोर्ट ने निष्कर्ष में कहा,
"किसी भी प्रकार के दृष्टि दोष से पीड़ित अधिकारी को सेना में शामिल करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर रूप से पूर्वाग्रहित हो सकता है।"

