UAPA ट्रिब्यूनल ने जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन को गैरकानूनी संगठन घोषित किया
Amir Ahmad
19 Sept 2025 1:01 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस सचिन दत्ता की अध्यक्षता वाले UAPA ट्रिब्यूनल ने जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (JKIM) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया।
जस्टिस दत्ता ने 3 सितंबर को जारी आदेश में कहा कि यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा 11 मार्च, 2025 को जारी की गई अधिसूचना की पुष्टि करता है, जिसमें UAPA की धारा 3(1) के तहत JKIM को गैरकानूनी घोषित किया गया था।
केंद्र सरकार के अनुसार JKIM पाकिस्तान समर्थित अलगाववादी संगठन है, जिसका नेतृत्व वर्तमान में मसरूर अब्बास अंसारी कर रहे हैं। मसरूर अब्बास अंसारी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं और जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने तथा अलगाववादी गतिविधियों को आयोजित करने में बहुत सक्रिय हैं।
JKIM पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने और सीमा पार के तत्वों के साथ मिलकर आतंकवादी गतिविधियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने का आरोप है।
जस्टिस दत्ता ने कहा कि UAPA की धारा 3(1) के तहत JKIM को गैरकानूनी संगठन घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने का ठोस आधार था।
न्यायालय ने कहा कि किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह एक उग्रवादी संगठन हो। महत्वपूर्ण यह है कि क्या संगठन की गतिविधियां वैधानिक अर्थों में गैरकानूनी गतिविधि हैं।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि FIR और जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से यह पता चलता है कि संगठन अपने पूर्व प्रमुख के माध्यम से अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है, भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष फैलाता रहा है। खुले तौर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करता रहा है और ऐसे नारे लगाता रहा है, जिनमें जम्मू-कश्मीर की भारत के अभिन्न अंग के रूप में स्थिति पर विवाद किया गया।
ट्रिब्यूनल ने मौलवी अब्बास अंसारी (पूर्व अध्यक्ष) और मसरूर अब्बास अंसारी के भाषणों और साक्षात्कारों का भी हवाला दिया, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि संगठन अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करता है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि ये गतिविधियां भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करती हैं।
ट्रिब्यूनल ने पाया कि रिकॉर्ड पर रखे गए विस्तृत सबूत यह साबित करते हैं कि JKIM को UAPA के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित करने का पर्याप्त औचित्य है।

