इनकम टैक्स एक्ट के तहत चैरिटेबल मानी गई संस्था को FCRA में अलग नजरिए से नहीं देखा जा सकता: मद्रास हाईकोर्ट
Amir Ahmad
29 Dec 2025 1:48 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने स्पष्ट किया कि जिस ट्रस्ट को इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के तहत चैरिटेबल संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त है, उसे विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत उस दर्जे से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा बारह ए के तहत वैध पंजीकरण रखने वाली संस्था की चैरिटेबल हैसियत को नजरअंदाज करना कानूनन उचित नहीं है।
जस्टिस जी आर स्वामीनाथन की एकल पीठ अरष विद्या परंपरा ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गृह मंत्रालय द्वारा ट्रस्ट का FCRA के तहत पंजीकरण आवेदन खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि जब आयकर विभाग स्वयं याचिकाकर्ता को चैरिटेबल संगठन मानता है तो वह FCRA व्यवस्था के अंतर्गत चैरिटेबल नहीं रह सकता। ऐसा नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने इसे अधिनियम की धारा बावन का वास्तविक आशय बताया।
अदालत ने यह भी कहा कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत धारा 12ए के अंतर्गत जारी प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक दस्तावेज है। इस प्रमाण पत्र पर विचार किए बिना FCRA पंजीकरण आवेदन को खारिज करना स्पष्ट रूप से अधिकारियों द्वारा मनोयोग के अभाव को दर्शाता है।
कोर्ट ने रिकॉर्ड का अवलोकन करते हुए पाया कि ट्रस्ट को आयकर अपीलीय अधिकरण के आदेश के बाद इनकम टैक्स एक्ट की धारा 12ए के तहत पंजीकरण प्रदान किया गया, जो अब भी वैध और प्रभावी है। ऐसे में FCRA के तहत उसकी पात्रता पर विचार करते समय इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम अन्य कानूनों को निष्प्रभावी नहीं करता। अधिनियम की धारा बावन में स्पष्ट रूप से कहा गया कि इसके प्रावधान अन्य कानूनों के अतिरिक्त हैं, न कि उनके प्रतिकूल। इसलिए जब तक किसी संस्था के दुरुपयोग या कानून के उल्लंघन का ठोस आधार न हो तब तक उसकी चैरिटेबल स्थिति को अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने FCRA पंजीकरण खारिज करने का आदेश निरस्त कर दिया और मामले को पुनर्विचार के लिए संबंधित प्राधिकारी को वापस भेज दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि प्राधिकारी ट्रस्ट के आयकर पंजीकरण सहित सभी प्रासंगिक दस्तावेजों पर विचार करते हुए नए सिरे से निर्णय लें।
इस प्रकार न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली।

