Swati Maliwal Assault Case: बिभव कुमार को अप्रमाणित दस्तावेजों की सूची देने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची दिल्ली पुलिस
Amir Ahmad
4 March 2025 8:17 AM

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी और स्वाति मालीवाल हमला मामले में आरोपी बिभव कुमार को अप्रमाणित दस्तावेजों की सूची देने के मामले में उसकी याचिका खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई।
दिल्ली पुलिस ने 29 जनवरी को सेशन कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली उसकी अर्जी खारिज कर दी गई। इसमें कुमार को अप्रमाणित दस्तावेजों की सूची देने का निर्देश दिया गया।
जस्टिस विकास महाजन ने मामले की संक्षिप्त सुनवाई की और दिल्ली पुलिस को मामले में संक्षिप्त नोट दाखिल करने का निर्देश दिया।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सरकारी वकील संजय लाओ ने कहा कि सेशन कोर्ट का आदेश कानून की दृष्टि से गलत है। उन्होंने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ आरोपी को अप्रमाणित दस्तावेजों की सूची देने के मामले में उलझी हुई है, इसलिए न्यायालय को उक्त निर्णय का इंतजार करना चाहिए।
न्यायालय के प्रश्न पर लाओ ने कहा कि आज की तारीख में इस मुद्दे पर कानून "दोनों पक्षों" के लिए है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि सूची अभियुक्त को दी जानी है तो सूची प्रदान की जा सकती है।
इस पर न्यायालय ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"कभी-कभी ऐसा होता है कि सुप्रीम कोर्ट को किसी मुद्दे पर निर्णय लेने में कुछ समय लग सकता है। मुद्दा कुछ समय तक लंबित रहता है। ऐसी स्थिति में हमें आज के समय में प्रचलित कानून के अनुसार चलना होगा। दोनों पक्षों के कानून का हवाला दें। स्थगन के लिए मामला बनाएं।"
लाओ ने तब कहा कि कुमार द्वारा अप्रमाणित दस्तावेजों की सूची मांगने के लिए जिस निर्णय पर भरोसा किया गया, वह ज्यादातर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से संबंधित मामलों और CBI मैनुअल की व्याख्या से संबंधित है, जो दिल्ली पुलिस के मामले में समान नहीं है।
न्यायालय ने तब टिप्पणी की कि CBI मैनुअल CrPC को ओवरराइड नहीं करेगा और CBI मामलों में भी प्रक्रिया CrPC द्वारा शासित होती है। अब मामले की सुनवाई 11 मार्च को होगी। पिछले साल सितंबर में कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी।
शुरू में कुमार ने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख किया, लेकिन 27 मई, 2024 को राहत देने से इनकार कर दिया गया। उनकी दूसरी नियमित जमानत याचिका को सेशन कोर्ट ने 7 जून, 2024 को खारिज कर दिया।
पीड़ित होकर कुमार ने फिर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनकी जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हालांकि वह मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में ही नामित हैं लेकिन उनका काफी प्रभाव है।
जज ने कहा कि मौजूदा स्थिति में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर कुमार को जमानत पर रिहा किया जाता है तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है।
केस टाइटल: राज्य बनाम बिभव कुमार