स्टूडेंट को भाषा की बाधा के कारण CLAT से बाहर न किया जाए: दिल्ली हाईकोर्ट ने NLU संघ से ठोस निर्णय लेने को कहा
Amir Ahmad
6 May 2025 4:43 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLUs) के संघ को निर्देश दिया कि वे एक ठोस निर्णय लें, जिससे किसी भी स्टूडेंट को कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) परीक्षा में भाषा की बाधा के कारण बाहर न किया जाए।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह मांग की गई कि CLAT परीक्षा केवल अंग्रेजी में ही नहीं बल्कि संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित की जाए।
कोर्ट ने कहा,
"हम अपेक्षा करते हैं कि अगली सुनवाई की तारीख तक इस याचिका में उठाई गई चिंताओं पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा ताकि देशभर में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में लॉ कोर्स में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट के लिए किसी भाषा की बाधा के कारण कोई बहिष्कार न हो।"
संघ की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि एक उच्च स्तरीय सलाहकार बोर्ड ने कुछ सिफारिशें की हैं लेकिन याचिका में की गई प्रार्थना पर अभी विचार चल रहा है। अंतिम निर्णय के लिए कुछ और समय मांगा गया।
कोर्ट ने संघ को निर्णय लेने के लिए आठ सप्ताह का समय देते हुए दोहराया कि इस मामले में निर्णय लेते समय उन्हें पहले दिए गए आदेशों में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखना होगा, जहां यह जोर दिया गया कि अंग्रेजी किसी भी स्टूडेंट के लिए एडमिशन में बाधा नहीं बननी चाहिए। विशेष रूप से उन स्टूडेंट के लिए जो अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षित हुए हैं।
अब यह मामला 20 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
इससे पहले कोर्ट ने कहा,
"यह ज़रूरी है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा (CLAT) जिस भाषा में कराई जाती है, वह अन्य भाषाओं में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए बाधा न बने। याचिकाकर्ता ने यह मुद्दा उठाया कि क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा आयोजित करना समावेशिता के लिहाज से आवश्यक हो सकता है।"
NLU संघ ने पहले क्षेत्रीय भाषाओं में CLAT परीक्षा आयोजित करने को लेकर अनिच्छा जताई थी और कहा था कि AIBE जैसी परीक्षा का अनुवाद आसान है लेकिन CLAT परीक्षा में अनुवाद को लेकर काफी अधिक जटिलताएं हैं।
वहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने कहा था कि क्षेत्रीय भाषाओं में CLAT आयोजित करने से अधिक नागरिकों को कानून को करियर के रूप में अपनाने का अवसर मिलेगा।
केस टाइटल: सुदर्शन पाठक बनाम नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज का संघ एवं अन्य

