PMLA के तहत कुर्क की गई संपत्ति अनुसूचित अपराध में बरी होने के बाद रिलीज की जाएगी: दिल्ली हाइकोर्ट
Amir Ahmad
1 May 2024 12:25 PM

दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक बार जब कोई व्यक्ति अनुसूचित अपराध (Scheduled Offence) से बरी हो जाता है तो PMLA के तहत कुर्क की गई संपत्ति को कानूनी तौर पर अपराध की आय नहीं माना जा सकता, या आपराधिक गतिविधि से प्राप्त संपत्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता।
जस्टिस विकास महाजन ने कहा,
"PMLA की धारा 8(6) का अवलोकन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि PMLA के तहत किसी आरोपी को बरी कर दिया जाता है तो धारा 8(6) के तहत स्पेशल जज के पास PMLA के तहत कुर्क की गई संपत्ति को रिलीज करने का आदेश पारित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"
यह देखते हुए कि अनुसूचित अपराध और उससे उत्पन्न अपराध की आय ही मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का मूल आधार है, न्यायालय ने कहा,
“एक बार जब कोई व्यक्ति अनुसूचित अपराध से बरी हो जाता है या बरी हो जाता है तो मूल आधार ही खत्म हो जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप नहीं टिकता, क्योंकि अपराध की कोई आय नहीं होती।”
इसमें यह भी कहा गया,
“इसके साथ ही PMLA के तहत कुर्क की गई संपत्तियों को कानूनी तौर पर अपराध की आय नहीं माना जा सकता या उन्हें आपराधिक गतिविधि से प्राप्त या प्राप्त संपत्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता।”
सहायक निदेशक प्रवर्तन निदेशालय बनाम निक निश रिटेल लिमिटेड और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने कहा कि यदि अपील में पूर्ववर्ती अपराध में बरी करने के फैसले को उलट दिया जाता है तो ED के लिए PMLA के तहत कार्यवाही को फिर से शुरू करना हमेशा खुला रहेगा।
अदालत ने कहा,
"दूसरे शब्दों मे जब तक अपील में दोषमुक्ति के फैसले को पलटा नहीं जाता, तब तक दोषमुक्ति के सभी प्रभाव जारी रहेंगे और दोषमुक्ति के खिलाफ अपील दायर करने का मतलब यह नहीं है कि प्रतिवादी (व्यक्ति) PMLA के तहत आपराधिक कार्यवाही या कुर्की की कठोरता को झेलते रहेंगे।"
जस्टिस महाजन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विभिन्न व्यक्तियों को दोषमुक्त करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ ED द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
आरोपमुक्त किए जाने के बाद ट्रायल कोर्ट ने ED द्वारा कुर्क की गई सभी अचल संपत्तियों को छोड़ने का निर्देश दिया और सभी बैंक अकाउंट को डीफ्रीज या रिलीज करने का आदेश दिया।
ED की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी की इस दलील को खारिज कर दिया कि दोषमुक्ति के आदेश के खिलाफ अपील ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही की निरंतरता है।
न्यायालय ने कहा कि यह सामान्य कानून है कि आपराधिक कार्यवाही के संदर्भ में मुकदमा तभी समाप्त होता है, जब उसका परिणाम बरी होना होता है। हालांकि, दोषसिद्धि के मामले में सजा सुनाए जाने के साथ ही दोषी अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा समाप्त हो जाता है।
न्यायालय ने कहा,
प्रतिवादी नंबर 1 और 2 के विधेय अपराध में बरी होने के बाद PMLA के तहत कोई कार्यवाही जारी नहीं रह सकती। स्पेशल जज ने दिनांक 09.10.2023 के आदेश के माध्यम से प्रतिवादियों को PMLA के तहत अपराधों से सही तरीके से मुक्त कर दिया। इसी तरह दिनांक 07.11.2023 के आदेश में कोई कमी नहीं है, जिसके तहत स्पेशल जज द्वारा कुर्क की गई चल और अचल संपत्तियों को मुक्त करने का निर्देश दिया गया।”