राइट टू बी फॉरगॉटन: पॉन्टी चड्ढा के बेटे ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, बरी होने के बाद भी मीडिया रिपोर्ट हटाने की मांग
Amir Ahmad
21 Aug 2025 12:34 PM IST

मशहूर शराब कारोबारी पॉन्टी चड्ढा के बेटे मनीप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ मोंटी चड्ढा ने बृहस्पतिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मीडिया रिपोर्टों को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि 100 करोड़ रुपये की कथित प्रॉपर्टी धोखाधड़ी मामले में बरी होने के बावजूद उनके खिलाफ पुरानी खबरें अब भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंच रही है।
मामले की सुनवाई जस्टिस पुरषेन्द्र कुमार कौरव ने संक्षेप में की।
चड्ढा की ओर से कहा गया कि 2018 में दर्ज FIR ट्रायल कोर्ट ने नवंबर, 2019 में कंपाउंड कर दिया और उन्हें मामले से बरी कर दिया गया। इसके बावजूद, इंटरनेट पर अब भी उनकी गिरफ्तारी और मुकदमे से जुड़ी खबरें मौजूद हैं।
जज ने चड्ढा के वकील से दो सवालों पर जवाब मांगे क्या वास्तव में "राइट टू बी फॉरगॉटन" का कानूनी अधिकार लागू किया जा सकता है? क्या यह मुकदमा पांच साल बाद दायर होने की वजह से सीमा क़ानून (Law of Limitation) के तहत ख़ारिज नहीं किया जाना चाहिए?
ANI मीडिया की ओर से पेश एडवोकेट सिद्धांत कुमार ने दलील दी कि हाईकोर्ट पहले ही साफ़ कर चुका है कि किसी सामग्री का इंटरनेट पर बने रहना लगातार नया कारण कार्रवाई नहीं बनाता और परिसीमा अवधि पहली बार प्रकाशन की तारीख़ से ही गिनी जाएगी।
फिलहाल कोर्ट ने चड्ढा के वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और अभी तक समन जारी नहीं किया गया।
चड्ढा ने अपने मानहानि मुकदमे में कई प्रमुख मीडिया संस्थानों को प्रतिवादी बनाया, जिनमें बेनट कोलमैन, ANI मीडिया, एचटी मीडिया, इंडियन एक्सप्रेस ऑनलाइन, लाइवमिंट, NDTV, तहलका, द हिंदू, द ट्रिब्यून समेत अन्य शामिल हैं। इसके अलावा मेटा प्लेटफॉर्म्स, एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर), गूगल और जॉन डो को भी पक्षकार बनाया गया।
चड्ढा ने कहा है कि इन खबरों के कारण उनकी और उनके परिवार की सामाजिक छवि धूमिल हुई है तथा उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर भारी नुकसान झेलना पड़ा।
उन्होंने मीडिया संस्थानों से 2 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर संबंधित रिपोर्टों और वीडियो को इंटरनेट से हटाने का आदेश देने की गुहार लगाई।

