पूजा खेडकर की IAS उम्मीदवारी रद्द करने के आदेश की कॉपी 2 दिन में उपलब्ध कराएंगे: UPSC ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा
Amir Ahmad
7 Aug 2024 1:25 PM IST
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह पूर्व परिवीक्षाधीन IAS अधिकारी पूजा खेडकर को उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के आधिकारिक आदेश के बारे में दो दिन के भीतर सूचित कर देगा।
जस्टिस ज्योति सिंह खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार कर रही थीं। उन्होंने UPSC द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग द्वारा उन्हें आधिकारिक आदेश नहीं दिया गया।
खेडकर पर UPSC सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और गलत साबित करने का आरोप है।
31 जुलाई को UPSC ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी और आयोग की सभी भावी परीक्षाओं और चयनों से उन्हें स्थायी रूप से वंचित कर दिया। UPSC के अनुसार, उन्हें सिविल सेवा परीक्षा-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में कार्य करने का दोषी पाया गया।
शुरू में अदालत ने खेडकर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह से पूछा कि कार्रवाई को केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के समक्ष चुनौती क्यों नहीं दी गई।
जयसिंह ने तर्क दिया कि चूंकि खेडकर को UPSC द्वारा आधिकारिक आदेश नहीं दिया गया। इसलिए प्रेस रिलीज को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई।
उन्होंने कहा कि IAS के रूप में नियुक्त होने के बाद खेडकर अपनी उम्मीदवारी रद्द होने की सूचना प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से नहीं दे सकतीं।
जयसिंह ने आगे कहा कि खेडकर पर एकतरफा रूप से लगाए गए दोगुने जुर्माने के साथ फंस गई हैं, जिसके लिए उनके पास आधिकारिक आदेश नहीं है।
UPSC की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट नरेश कौशिक ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति जारी करने की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि खेडकर के ठिकाने के बारे में पता नहीं था। जयसिंह ने निर्देश पर कहा कि यदि उन्हें कानून के अनुसार उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता दी जाती है तो याचिका वापस ले ली जाएगी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश उन्हें निर्धारित तिथि तक नहीं बताया गया। कौशिक ने कहा कि आदेश खेडकर को दो दिनों के भीतर उनकी ईमेल आईडी और उनके अंतिम ज्ञात पते पर सूचित कर दिया जाएगा।
अदालत ने कहा,
"याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका का निपटारा किया जाता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस अदालत ने मामले के गुण-दोष पर न तो कोई विचार किया और न ही कोई राय व्यक्त की। वर्तमान याचिका दायर करने से मामले के गुण-दोष पर उचित मंच द्वारा निर्णय लिए जाने में कोई बाधा नहीं आएगी।"
01 अगस्त को खेडकर को ट्रायल कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार किया था, जिसने जांच एजेंसी को मामले में जांच का दायरा बढ़ाने और पूरी निष्पक्षता से जांच करने का निर्देश दिया था। ट्रायल कोर्ट ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह अतीत में अनुशंसित उन उम्मीदवारों का पता लगाए, जिन्होंने अनुमेय सीमा से अधिक लाभ उठाया और जिन्होंने ओबीसी श्रेणी के तहत या बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों के तहत लाभ प्राप्त किया, जबकि वे इसके हकदार नहीं हैं।
खेड़कर जून में अपने प्रोबेशनरी ट्रेनिंग के हिस्से के रूप में पुणे कलेक्टरेट में शामिल हुईं। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सीएसई पास करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों (PWBD) के तहत कोटा का दुरुपयोग किया।
इस मामले में UPSC ने खेड़कर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। उनका चयन रद्द करने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से भी रोक दिया गया।
UPSC द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयान के अनुसार, खेड़कर के दुराचार की विस्तृत और गहन जांच से पता चला कि उन्होंने अपना नाम बदलकर अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करके” परीक्षा नियमों के तहत अनुमेय सीमा से परे प्रयासों का लाभ उठाया।
बयान में यह भी कहा गया कि खेडकर ने अपने पिता और माता के नाम के साथ-साथ अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल पता, मोबाइल नंबर और पता भी बदल दिया।
केस टाइटल- पूजा खेडकर बनाम यूपीएससी और अन्य।