सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों के आदेश का विरोध करने वालों पर दिल्ली पुलिस नहीं करेगी दंडात्मक कार्रवाई
Amir Ahmad
18 Oct 2025 2:47 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट को दिल्ली पुलिस ने सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को हटाने के निर्देश वाले आदेश का विरोध करने वाले और असहमति व्यक्त करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
दिल्ली पुलिस ने जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा को बताया कि 16 अगस्त को जिन नौ व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार नहीं किया जा रहा है, बशर्ते वे जांच में शामिल हों।
पुलिस के इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने उन व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223(a), 221, 132, 121(1) और 3(5) के तहत दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की गई।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई के लिए 2 फरवरी, 2026 की तारीख सूचीबद्ध की।
याचिकाकर्ताओं ने खुद को पशु प्रेमी बताते हुए कहा कि उनका विरोध नेकनीयत और कानूनी था, जिसे उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(b) के तहत अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए किया था।
उनका दावा है कि उनका रिकॉर्ड बेदाग है। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। याचिका में कहा गया कि FIR दर्ज करना शांतिपूर्ण विरोध को अपराधी बनाने के लिए रची गई चक्करदार चाल है। इसका एकमात्र उद्देश्य याचिकाकर्ताओं को परेशान करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करना है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उनका प्रदर्शन प्रतीकात्मक, मुद्दे पर आधारित और अहिंसक था जिसमें सार्वजनिक या निजी संपत्ति को कोई नुकसान या किसी व्यक्ति को चोट नहीं पहुँची थी।
याचिका में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के 11.08.2025 के फैसले को बाद में 22.08.2025 को तीन जजों की पीठ ने संशोधित किया, जिसमें जानवरों के लिए संवैधानिक और वैधानिक सुरक्षा और पशु कल्याण में लगे नागरिकों के अधिकारों को मान्यता दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का जमावड़ा न केवल उचित था बल्कि कानून द्वारा पूरी तरह से संरक्षित भी था।
याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया कि ऐसा कोई भौतिक प्रमाण नहीं है, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ताओं या आम जनता को सूचित करने के लिए पहले से कोई प्रकाशन या सार्वजनिक सूचना जारी की गई थी कि शांतिपूर्ण और प्रतीकात्मक विरोध भी निषिद्ध है।
उन्होंने कहा कि FIR दर्ज करने से पहले अधिकारियों द्वारा कोई सार्वजनिक घोषणा या चेतावनी नहीं दी गई और निषेधाज्ञा के कथित उल्लंघन के लिए दंडात्मक प्रावधानों को लागू करना प्रथम दृष्टया अवैध है।

