POCSO Act की धारा 5(सी) लागू नहीं: उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद क्यों निलंबित हुई, दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया

Amir Ahmad

24 Dec 2025 4:18 PM IST

  • POCSO Act की धारा 5(सी) लागू नहीं: उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद क्यों निलंबित हुई, दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करते हुए अहम कानूनी टिप्पणी की।

    हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना कि सेंगर के खिलाफ POCSO Act की धारा 5(सी) के तहत गंभीर (एग्रेवेटेड) यौन अपराध का मामला नहीं बनता, जिस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी थी।

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि सेंगर को पॉक्सो अधिनियम की धारा 5(सी) या भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(बी) के तहत लोक सेवक की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

    ट्रायल कोर्ट ने उन्हें लोक सेवक मानते हुए गंभीर यौन अपराध का दोषी ठहराया था लेकिन हाईकोर्ट ने इस निष्कर्ष से असहमति जताई।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 5 उन परिस्थितियों को परिभाषित करती है, जिनमें किसी बच्चे के साथ किया गया यौन हमला 'गंभीर' माना जाता है जैसे कि अपराध किसी लोक सेवक, पुलिसकर्मी, सशस्त्र बलों के सदस्य या ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया हो जो विश्वास या अधिकार की स्थिति में हो।

    हाईकोर्ट ने कहा कि सेंगर न तो धारा 5(सी) के अंतर्गत लोक सेवक की श्रेणी में आते हैं और न ही धारा 5(पी) के तहत 'विश्वास या अधिकार की स्थिति' वाले व्यक्ति माने जा सकते हैं।

    अदालत ने कहा,

    “इस न्यायालय की प्रथम दृष्टया राय है कि सजा निलंबन के उद्देश्य से अपीलकर्ता को पॉक्सो अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत 'गंभीर यौन अपराध' की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। अतः उन्हें शेष जीवन के लिए कारावास की सजा नहीं दी जा सकती।”

    खंडपीठ ने यह भी नोट किया कि यदि गंभीर अपराध लागू नहीं होता, तो इस मामले में POCSO Act की धारा 4 लागू होगी, जिसमें न्यूनतम सजा सात वर्ष का कारावास निर्धारित है।

    अदालत ने रिकॉर्ड किया कि सेंगर पहले ही लगभग सात वर्ष पांच माह की जेल की सजा काट चुके हैं, जो अपराध के समय लागू न्यूनतम सजा से अधिक है।

    इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने सजा निलंबित करने का निर्णय लिया। हालांकि, पीड़िता की सुरक्षा को लेकर अदालत ने सख्त निर्देश जारी किए।

    हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस आशंका के आधार पर कि सुरक्षा एजेंसियां अपना काम ठीक से नहीं करेंगी, किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता। साथ ही संबंधित क्षेत्र के डीसीपी को निर्देश दिया गया कि वह व्यक्तिगत रूप से पीड़िता की सुरक्षा की निगरानी सुनिश्चित करें।

    अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सेंगर पीड़िता के निवास स्थान से पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं आएंगे, अपील लंबित रहने तक दिल्ली में ही रहेंगे, अपना पासपोर्ट जमा करेंगे और पीड़िता या उसके परिवार को किसी भी तरह से धमकाने का प्रयास नहीं करेंगे।

    उल्लेखनीय है कि कुलदीप सिंह सेंगर को न केवल पीड़िता के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया गया, बल्कि पीड़िता के पिता की हत्या की साजिश में भी दोषसिद्धि हुई थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में पीड़िता की याचिका पर मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करते हुए त्वरित सुनवाई के निर्देश दिए थे।

    फिलहाल हाईकोर्ट में सेंगर की अपील लंबित है और सजा निलंबन के दौरान मामले के अंतिम निर्णय का इंतजार किया जाएगा।

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