OYO ने लेंसकार्ट के खिलाफ को-वर्किंग स्पेस लीज़ विवाद में मध्यस्थता के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी
Amir Ahmad
13 Aug 2025 3:37 PM IST

OYO ने दिल्ली हाईकोर्ट में धारा 34 के तहत एक याचिका दायर की, जिसमें OYO और लेंसकार्ट (OYO होटल्स एंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम लेंसकार्ट सॉल्यूशंस) के बीच COVID-19 महामारी के दौरान को-वर्किंग स्पेस लीज़ की समाप्ति से संबंधित विवाद में पारित मध्यस्थता फैसले के कुछ अंशों को चुनौती दी गई।
मध्यस्थता कार्यवाही में OYO आंशिक रूप से सफल रहा और उसने लीज़ समझौते के तहत लॉक-इन अवधि के लिए मुआवज़े, ब्याज के फैसले और स्टाम्प शुल्क के मुद्दे से संबंधित टिप्पणियों से संबंधित मध्यस्थ न्यायाधिकरण का फैसला रद्द करने के लिए धारा 34 के तहत एक याचिका दायर की।
यह विवाद 30.07.2019 के एक लीज़ समझौते से उत्पन्न हुआ, जिसके तहत ओयो ने बेंगलुरु के एमजी रोड स्थित सुभराम कॉम्प्लेक्स की पहली मंजिल को 36 महीने की लॉक-इन अवधि के साथ छह साल के लिए लेंसकार्ट को लीज़ पर दिया था।
OYO का मामला यह है कि लेंसकार्ट ने लीज़ पर दी गई संपत्ति पर कब्ज़ा कर लिया था। मार्च, 2020 में COVID-19 महामारी के मद्देनजर उसने फ़ोर्स-मैज्योर क्लॉज़ का इस्तेमाल करके ओयो को 15 दिनों के लिए देय किराया देना बंद कर दिया।
लेंसकार्ट ने 24.05.2020 को लीज़ समाप्त कर दी और OYO से सुरक्षा जमा के रूप में ओयो को दिए गए 1.21 करोड़ की वापसी मांगी। OYO का कहना है कि 30.07.2019 के लीज़ समझौते को समाप्त करना गैरकानूनी और समय से पहले लिया गया। इसके अलावा OYO ने शेष लीज़ अवधि और विलंबित भुगतान शुल्क के लिए 7.8 करोड़ से अधिक का किराया मांगा।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा ए एंड सी अधिनियम की धारा 11(6) के तहत एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किए जाने के बाद सितंबर, 2021 में इस विवाद को मध्यस्थता के लिए भेज दिया गया। मध्यस्थता कार्यवाही में न्यायाधिकरण के कार्यकाल में कई बार विस्तार भी हुआ
जस्टिस संजीव नरूला ने 21.12.2023 को ए एंड सी अधिनियम की धारा 29(ए) के तहतबयह देखते हुए कि OYO के साक्ष्य और जिरह चल रही थी न्यायाधिकरण के कार्यकाल को 31.08.2024 तक बढ़ा दिया। जस्टिस जसमीत सिंह ने यह देखते हुए कि मध्यस्थता कार्यवाही अंतिम बहस के चरण में थी। इसमें भारी मात्रा में रिकॉर्ड शामिल थे न्यायाधिकरण के कार्यकाल को 20.02.2025 तक बढ़ा दिया।
विवादित मध्यस्थता निर्णय में मध्यस्थ ने पाया कि COVID-19 महामारी के कारण लीज़ का फ़ोर्स-मैज्योर क्लॉज़ लागू नहीं हुआ, जो केवल तभी लागू होता है जब परिसर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गया हो। इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने लॉक-इन अवधि के लिए मुआवजे से संबंधित ओयो के दावे को प्रतिबंधित कर दिया।
ट्रिब्यूनल ने ब्याज और स्टांप शुल्क पर भी टिप्पणियां कीं, जिन्हें OYO अब धारा 34 न्यायालय द्वारा रद्द करने का प्रयास कर रहा है।

