निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राय के खिलाफ महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया नया वाद
Amir Ahmad
8 May 2025 10:24 AM

तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में नया आवेदन दायर किया। इसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राय द्वारा उनके खिलाफ किए गए कथित मानहानिपूर्ण सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर शिकायत की।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने इस आवेदन पर संक्षिप्त सुनवाई की।
यह आवेदन एक कोट ट्वीट के संदर्भ में दायर किया गया, जो X (पूर्व में ट्विटर) पर देहदरई द्वारा किया गया था।
उस ट्वीट में लिखा था,
“लोकपाल मामले में बड़ा खुलासा, जो डॉ. निशिकांत दुबे MP द्वारा दायर किया गया था।”
वहीं दुबे ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि CBI ने महुआ मोइत्रा के कथित विदेशी अकाउंट्स और खर्चों के संबंध में लोकपाल के समक्ष मामला दर्ज किया और उन्हें हाल ही में इस संबंध में एक पत्र मिला है।
अदालत में बहस:
महुआ मोइत्रा की ओर से वकील समुद्र सरंगी उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि देहाद्राय का ट्वीट दरअसल दुबे के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट है।
उन्होंने इन पोस्ट्स को हटाने की मांग की और बताया कि महुआ ने दुबे की पोस्ट को लेकर लोकपाल को लिखा। इसके जवाब में बताया गया कि दुबे को कोई आधिकारिक पत्र भेजा ही नहीं गया।
निशिकांत दुबे की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिमन्यु भंडारी उपस्थित हुए और बताया कि फेसबुक पोस्ट लोकपाल के फैसले पर आधारित है, जो दुबे द्वारा मोइत्रा के खिलाफ की गई शिकायत पर आया था। उन्होंने यह भी कहा कि दुबे को लोकपाल या किसी अन्य संस्था से कोई नया पत्र नहीं मिला।
कोर्ट ने जब पूछा कि दुबे के पोस्ट में पत्र से क्या तात्पर्य है तो भंडारी ने कहा कि दुबे को प्रतिदिन कई स्रोतों से जानकारियाँ मिलती रहती हैं और यह पोस्ट लोकपाल के फैसले पर आधारित है।
जस्टिस अरोड़ा ने मौखिक रूप से कहा,
“प्रथम दृष्टया यह दस्तावेज़ (लोकपाल का फैसला) आपके द्वारा महुआ मोइत्रा के खिलाफ लगाए गए आरोपों का समर्थन नहीं करता। कृपया तब तक यह पोस्ट डिएक्टिवेट करें।”
इस पर भंडारी ने कहा कि दुबे को लोकपाल के आदेश को ट्विटर पर डालने का अधिकार है।
कोर्ट ने जवाब दिया कि दुबे को आदेश साझा करने का अधिकार है लेकिन आदेश से मनमाने निष्कर्ष नहीं निकाले जा सकते।
भंडारी ने यह भी कहा कि महुआ मोइत्रा बार-बार अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स में दुबे को पिटबुल कहती रही हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी के
खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करता है तो पीड़ित संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से उस पोस्ट को हटाने की मांग कर सकता है।
दोपहर सत्र में भंडारी ने बताया कि दुबे यात्रा पर हैं। इसलिए उनसे संपर्क नहीं हो सका। उन्होंने मामले को अगले दिन सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया जिसे कोर्ट ने मान लिया।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह नया आवेदन महुआ मोइत्रा द्वारा दुबे और देहदरई के खिलाफ 2023 में दायर मानहानि वाद में दाखिल किया गया। यह वाद उन झूठे और मानहानिपूर्ण आरोपों पर आधारित है, जिनमें कहा गया था कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के बदले रिश्वत ली।
महुआ ने अदालत से अनुरोध किया कि दुबे, देहदरई और मीडिया को किसी भी झूठी या मानहानिपूर्ण सामग्री को ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रकाशित या प्रसारित करने से रोका जाए। साथ ही उन्होंने दुबे और देहदरई से सार्वजनिक माफ़ी की भी मांग की, जो अंग्रेज़ी, हिंदी और बांग्ला में तीन समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाए।
अंतरिम राहत के रूप में महुआ ने अदालत से एकतरफा स्थगन आदेश (Ex-Parte Ad-Interim Injunction) की मांग की, जिससे सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई कथित मानहानिपूर्ण सामग्री जैसे कि फोटो, वीडियो, पत्र, प्रकाशन आदि वाद की अंतिम सुनवाई तक हटा दी जाए।
विवाद की शुरुआत तब हुई, जब दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को एक शिकायत पत्र भेजा, जिसमें आरोप लगाया गया कि महुआ ने कथित तौर पर रिश्वत लेकर संसद में प्रश्न पूछे। दुबे ने दावा किया कि इस आरोप का स्रोत देहाद्राय द्वारा उन्हें भेजा गया एक पत्र था।
महुआ ने इसके जवाब में दुबे, देहदरई और मीडिया संस्थानों को कानूनी नोटिस भेजा जिसमें सभी आरोपों का खंडन किया गया।
नोटिस में यह भी कहा गया कि महुआ ने कभी भी MP के रूप में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए कोई नगद, उपहार, या अन्य लाभ नहीं लिया है, जिसमें संसद में पूछे गए प्रश्न भी शामिल हैं।
केस टाइटल: MAHUA MOITRA बनाम NISHIKANT DUBEY एवं अन्य