दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉ रिसर्चर के वेतन पर राज्य सरकार से मांगा जवाब, पूछा- 2022 से बढ़ा हुआ वेतन क्यों नहीं?

Amir Ahmad

12 Sept 2025 1:19 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉ रिसर्चर के वेतन पर राज्य सरकार से मांगा जवाब, पूछा- 2022 से बढ़ा हुआ वेतन क्यों नहीं?

    दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉ रिसर्चर के मासिक वेतन में बढ़ोतरी को लेकर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि वह 1 अक्टूबर 2022 से लागू होने वाले बढ़े हुए वेतन को क्यों नहीं दे रही, जबकि इस पर हाई कोर्ट की समिति और चीफ जस्टिस की मंजूरी मिल चुकी है।

    जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ 13 लॉ रिसर्चर्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इन रिसर्चर्स ने अपने मासिक वेतन को 65,000 रुपये से बढ़ाकर 80,000 रुपये करने के साथ-साथ बकाया राशि की भी मांग की, जो 1 अक्टूबर, 2022 से लंबित है।

    कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बताया कि दिल्ली सरकार के मंत्रिपरिषद ने 3 सितंबर को यह निर्णय लिया कि लॉ रिसर्चर का मासिक वेतन 2 सितंबर, 2025 से 80,000 रुपये होगा। न्यायालय ने इस पर आपत्ति जताई, क्योंकि हाईकोर्ट की समिति और चीफ जस्टिस ने 16 अगस्त, 2023 को ही यह फैसला कर लिया था कि वेतन वृद्धि 1 अक्टूबर 2022 से प्रभावी होगी।

    इस मामले में दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (विधि, न्याय एवं विधि) और पैनल वकील ने कोर्ट को बताया कि वेतन वृद्धि की सिफारिश केवल भावी प्रभाव से की गई और बकाया राशि के भुगतान को पूर्वव्यापी प्रभाव से अनुमोदित नहीं किया गया।

    इस तर्क पर असंतोष जताते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया। इस हलफनामे में उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि आखिर क्यों हाईकोर्ट की समिति का निर्णय 1 अक्टूबर 2022 से लागू नहीं किया जा सकता।

    याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा कि चीफ जस्टिस के आदेश को लागू न करके और बकाया राशि रोककर सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 229 के तहत प्राप्त प्रशासनिक और संवैधानिक स्वीकृति का उल्लंघन किया। उनका कहना है कि इस देरी से याचिकाकर्ताओं और अन्य लॉ रिसर्चर्स को उनकी कड़ी मेहनत और लंबे काम के घंटों के लिए मिलने वाले बढ़े हुए पारिश्रमिक के लाभ से वंचित किया जा रहा है।

    इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को तय की गई।

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