क्लास X के स्टूडेंट की बकाया फीस जमा करने के लिए आगे आया वकील, हाईकोर्ट ने स्कूल से एडमिशन बहाल करने को कहा
Amir Ahmad
1 Dec 2025 2:43 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने देश की राजधानी के प्राइवेट स्कूल से क्लास X के स्टूडेंट का एडमिशन बहाल करने को कहा, जिसका नाम फीस न देने की वजह से काट दिया गया था। एक वकील ने बकाया फीस चुकाने के लिए 2.5 लाख रुपये देने की पेशकश की थी।
जस्टिस विकास महाजन ने वकील आर.के. कपूर के इस कदम की सराहना की, जिन्होंने स्टूडेंट की मदद की और यह सुनिश्चित किया कि उसके परिवार की आर्थिक परेशानियां उसकी पढ़ाई में रुकावट न बनें।
यह याचिका नाबालिग स्टूडेंट अर्णव राज ने दायर की थी। एक एप्लीकेशन दायर कर पहले के एक निर्देश में बदलाव की मांग की गई, जिसके तहत उसके पिता को 5.37 लाख रुपये से ज़्यादा का बकाया चुकाने के लिए हर महीने 50,000 रुपये देने थे और रेगुलर फीस भी देनी थी।
कोर्ट को बताया गया कि हालांकि पिता ने शुरू में 1.26 लाख रुपये जमा किए लेकिन नौकरी छूटने और बच्चे के बीमार दादाजी के मेडिकल खर्चों के अतिरिक्त बोझ के कारण वे आगे पेमेंट नहीं कर पाए।
पेमेंट न होने पर स्कूल ने एक शो-कॉज नोटिस जारी किया और बाद में 26 सितंबर को स्टूडेंट का नाम हटा दिया।
14 नवंबर को सुनवाई के दौरान वकील आर.के. कपूर, जो किसी दूसरे केस के लिए VC के ज़रिए लॉग-इन थे, ने पिता की हालत देखकर बकाया फीस का कुछ हिस्सा देने की पेशकश की।
कपूर ने स्कूल के बताए अनुसार 5,32,375 रुपये की बकाया फीस में से 2.5 लाख रुपये देने की पेशकश की। हालांकि स्टूडेंट ने कहा कि 1,26,000 रुपये एडजस्ट करने के बाद बकाया रकम 4,11,000 रुपये थी, जो पिता पहले ही दे चुके थे।
इसी के मुताबिक कोर्ट ने कहा,
“जो भी हो इस केस के खास तथ्यों और हालात को देखते हुए और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता क्लास X का स्टूडेंट है, जिसके पिता अपनी फाइनेंशियल दिक्कतों की वजह से याचिकाकर्ता की बकाया स्कूल फीस का इंतज़ाम नहीं कर पाए, जिसकी वजह से उसका नाम स्कूल से काट दिया गया। स्कूल से रिक्वेस्ट है कि वह मिस्टर कपूर का 2,50,000 रुपये का योगदान याचिकाकर्ता की बकाया फीस के लिए स्वीकार करे और इस पेमेंट को याचिकाकर्ता के सभी बकाया ड्यूज़ और अगर कोई फीस बाकी है तो एकेडमिक सेशन 2025-2026 के लिए फुल एंड फाइनल सेटलमेंट माने और 26.09.2025 का ऑफिस ऑर्डर वापस ले ले।”
जज ने आगे कहा कि अगले एकेडमिक सेशन के लिए अगर स्टूडेंट उसी स्कूल में पढ़ता रहता है तो फीस रेगुलर देने की ज़िम्मेदारी उसके माता-पिता की होगी।
कोर्ट ने साफ किया कि यह ऑर्डर केस के खास तथ्यों और हालात को देखते हुए पास किया जा रहा है और इसे मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा।

