यह पचाना मुश्किल है कि जब दोनों पक्ष शिक्षित हों तो तलाक कलंक होगा : दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
14 Aug 2024 12:20 PM IST
मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग करने वाली पत्नी की याचिका स्वीकार करते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (13 अगस्त) को पति की इस दलील खारिज की कि तलाक देने से उस पर और उसके परिवार पर अपमान और कलंक लगेगा।
न्यायालय ने कहा कि यह तर्क पचाना मुश्किल है कि जब दोनों पक्ष शिक्षित हों तो तलाक देना पति-पत्नी में से किसी एक के लिए कलंक होगा। लगातार मानसिक पीड़ा और आघात सहने के बजाय विवाह को समाप्त करना उनके हित में होगा।
मामला इस बात से जुड़ा है कि पति ने आपसी सहमति से तलाक देने पर सहमति जताई थी, क्योंकि पिछले बारह सालों से दोनों पक्ष अलग-अलग रह रहे हैं। लंबे समय से अलग रहने के कारण दोनों पक्षों के बीच शादी टूट चुकी है। हालांकि बाद में पति ने अपनी पत्नी को तलाक देने पर नाराजगी जताई।
तलाक देने से पीछे हटने के लिए पति ने यह तर्क दिया कि तलाक देने से वह और उसका परिवार अपमान और कलंक महसूस करेंगे।
पति द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को अनुचित मानते हुए जस्टिस अमित बंसल और राजीव शकधर की बेंच ने कहा,
"प्रतिवादी द्वारा दायर लिखित दलीलों में तलाक देने का विरोध करने के लिए यह तर्क दिया गया कि इससे वह और उसका परिवार अपमान और कलंक महसूस करेंगे। हम इस दलील को समझने में विफल रहे। हमारे विचार से वर्तमान समय में तलाक देने पर प्रतिवादी पति-पत्नी या उनके परिवारों पर कोई अपमान या कलंक नहीं लगाया जा सकता है। वर्तमान मामले में दोनों पक्ष सुशिक्षित हैं। इसलिए यह तर्क पचाना मुश्किल है कि तलाक देना पति-पत्नी में से किसी के लिए भी कलंक होगा। इसके विपरीत, एक खटास भरे विवाह के कारण पक्षों और उनके परिवारों को होने वाली लगातार मानसिक पीड़ा और आघात को सहना बहुत भारी पड़ता है।”
मध्यस्थता की कार्यवाही भी टूटी हुई शादी को सुधारने की किसी भी संभावना पर काम करने में विफल रही। इसलिए न्यायालय ने माना कि विवाह को आगे जारी रखने से पक्षों को आघात पहुंचेगा और मानसिक क्रूरता को बढ़ावा मिलेगा।
परिणामस्वरूप, अपीलकर्ता और प्रतिवादी के बीच विवाह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1) (ia) के तहत विघटित माना जाएगा।
केस टाइटल- रुचि वधावन बनाम अमित वाली