जामिया में विरोध प्रदर्शन: दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थिति को शांत करने के लिए समिति गठित की, स्टूडेंट के निलंबन पर रोक लगाई

Amir Ahmad

4 March 2025 1:52 PM IST

  • जामिया में विरोध प्रदर्शन: दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थिति को शांत करने के लिए समिति गठित की, स्टूडेंट के निलंबन पर रोक लगाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) में हाल ही में स्टूडेंट के विरोध प्रदर्शन के बीच स्थिति को शांत करने के लिए समिति गठित की जाए।

    समिति का गठन यूनिवर्सिटी के कुलपति की देखरेख में किया जाएगा और इसमें स्टूडेंट के प्रतिनिधियों सहित अन्य अधिकारी शामिल होंगे।

    जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने 12 फरवरी को यूनिवर्सिटी द्वारा जारी एक पत्र के संचालन को भी सुनवाई की अगली तारीख तक के लिए निलंबित कर दिया, जिसमें विरोध प्रदर्शन के लिए विभिन्न स्टूडेंट्स को निलंबित किया गया था।

    मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 17 स्टूडेंट को पूर्व अनुमति के बिना विरोध और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए निलंबित किया गया। स्टूडेंट बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन और बैठकों पर प्रतिबंध लगाने के जामिया के आदेश का विरोध कर रहे हैं।

    न्यायालय निलंबित स्टूडेंट द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार कर रहा था, जिसमें यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रॉक्टर के कार्यालय द्वारा जारी निलंबन पत्र को चुनौती दी गई, जिसके तहत उन्हें निलंबित कर दिया गया। यूनिवर्सिटी परिसर में प्रवेश करने पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया गया।

    याचिकाकर्ता स्टूडेंट का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस और एडवोकेट अभिक चिमनी ने किया।

    गोंजाल्विस ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के लिए बहुत ही असंगत कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का रिकॉर्ड साफ है और वे अपने विरोध प्रदर्शन के लिए कैंटीन के बाहर एकत्र हुए थे। उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन करने के बजाय दिल्ली पुलिस का पक्ष लिया और उन्हें गिरफ्तार करवा दिया।

    गोंजाल्विस ने कहा कि जामिया की कार्रवाई पूरी तरह से उसके शैक्षणिक नियमों के खिलाफ थी और याचिकाकर्ताओं को अपना बचाव करने का कोई मौका नहीं दिया गया। जामिया की ओर से पेश हुए एडवोकेट अमित साहनी ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट को पर्याप्त अवसर दिया था। विरोध प्रदर्शन का कहीं से भी शैक्षणिक कार्य से संबंध नहीं था और यूनिवर्सिटी से कोई अनुमति नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट बिना अनुमति के कैंटीन के बाहर सो रहे थे और इसलिए उन्हें वहां से हटा दिया गया।

    यह भी कहा गया कि कैंपस के अंदर किसी भी स्टूडेंट्स को गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्हें शुरू में हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया। न्यायालय ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और कहा कि वह फिलहाल विरोध के कारणों पर विचार नहीं कर रहा है, लेकिन प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड से पता चलता है कि यह एक शांतिपूर्ण विरोध था।

    न्यायालय ने कहा,

    "सभी स्टूडेंट कम उम्र के हैं और यूनिवर्सिटी जाने वाले स्टूडेंट निश्चित रूप से कानून के दायरे में अपनी आवाज उठाने का प्रयास करते हैं।"

    उन्होंने कहा कि इस तरह के शांतिपूर्ण विरोध में भाग लेना नागरिक समाज के मूल सिद्धांतों और मानदंडों का हिस्सा है।

    न्यायालय ने कहा,

    "न्यायालय को पूरा विश्वास है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन- कुलपति, डीन और चीफ प्रॉक्टर, स्थिति को शांत करने के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाएंगे।"

    न्यायालय ने कहा,

    "कुलपति की देखरेख में अधिकारियों की समिति गठित की जाए। स्टूडेंट के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जा सकता है।"

    न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने स्टूडेंट के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर विचार नहीं किया। वर्तमान आदेश का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यूनिवर्सिटी द्वारा रिपोर्ट दाखिल की जाए। इस बीच दिनांक 12.02.2025 के पत्र का क्रियान्वयन अगली सुनवाई की तारीख तक स्थगित किया जाता है

    केस टाइटल: सौरभ त्रिपाठी एवं अन्य बनाम जामिया मिलिया इस्लामिया एवं अन्य संबंधित मामले

    Next Story