इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की मांग करने वाले अभ्यावेदन पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करें'

Amir Ahmad

18 March 2025 6:08 AM

  • इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की मांग करने वाले अभ्यावेदन पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश का शीघ्र अनुपालन करे, जिसमें देश का नाम बदलकर इंडिया से भारत करने के निर्देश की मांग करने वाली याचिका को अभ्यावेदन माना जाए।

    जस्टिस सचिन दत्ता नहामा नामक संगठन द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहे थे, जिसमें केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर अपना अभ्यावेदन तय करने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि 2020 से अब तक भारत संघ के किसी भी विभाग ने अभ्यावेदन पर न तो विचार किया और न ही उस पर निर्णय लिया।

    नहामा की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अपने अभ्यावेदन के निपटान के लिए संबंधित मंत्रालयों के समक्ष मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति के साथ याचिका वापस लेने की मांग की। तदनुसार, याचिका को वापस लेते हुए खारिज कर दिया गया।

    न्यायालय ने आदेश दिया,

    "यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भारत संघ के विद्वान स्थायी वकील सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश/आदेशों के शीघ्र अनुपालन के लिए संबंधित मंत्रालयों को उचित रूप से अवगत कराएंगे।"

    याचिका में कहा गया कि एक वर्ष से अधिक समय तक प्रतीक्षा करने के बाद याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदन दायर किया, जिसमें प्रतिनिधित्व के लंबित रहने और स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई। दिसंबर 2021 में याचिकाकर्ता को सूचित किया गया कि मामला 03 जून 2020 को तत्कालीन एएसजी केएम नटराज को सौंपा गया। आवेदन को सीपीआईओ, लोकसभा और राज्यसभा को स्थानांतरित किया जा सकता है, क्योंकि भारत संघ को सचिव, संसद भवन के माध्यम से प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया था।

    याचिका में कहा गया,

    "इसके बाद याचिकाकर्ता अपने प्रतिनिधित्व की स्थिति जानने के लिए इधर-उधर भाग रहा है, जिस पर भारत संघ के किसी भी संबंधित विभाग द्वारा न तो विचार किया गया है और न ही निर्णय लिया गया।"

    इसमें कहा गया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को अपने देश को भारत कहने का समान अधिकार देता है।

    याचिका में तर्क दिया गया कि अंग्रेजी नाम "इंडिया" देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। इसका नाम बदलकर भारत करने से नागरिकों को औपनिवेशिक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।

    याचिका में कहा गया,

    “अब समय आ गया कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए; खासकर तब जब हमारे शहरों का नाम बदलकर भारतीय लोकाचार के साथ पहचान बनाई गई।"

    केस टाइटल: नमहा बनाम भारत संघ और अन्य।

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