भारत आने वाले विदेशी नागरिकों को सीमा शुल्क विभाग को अपने निजी स्वर्ण आभूषण घोषित करने की आवश्यकता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

30 Jan 2025 9:19 AM

  • भारत आने वाले विदेशी नागरिकों को सीमा शुल्क विभाग को अपने निजी स्वर्ण आभूषण घोषित करने की आवश्यकता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि भारत आने वाले विदेशी नागरिकों को अपने निजी उपयोग के लिए अपने साथ लाए गए स्वर्ण आभूषणों की सीमा शुल्क विभाग को घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने आगे कहा कि सीमा शुल्क विभाग को सामान नियम 2016 के उल्लंघन के लिए वस्तुओं को जब्त करते समय आभूषण और निजी आभूषण के बीच अंतर करना चाहिए, जो सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत बनाए गए हैं।

    इस प्रकार मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में खंडपीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता थाईलैंड से आने वाली विदेशी नागरिक है। वह अपने माता-पिता और परिवार से मिलने के लिए साल में एक या दो बार भारत आती है। उसने जो तीन सोने की चूड़ियां पहनी होंगी, वे उसके निजी सामान का हिस्सा होंगी। उसे इसकी घोषणा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।"

    याचिकाकर्ता की सोने की चूड़ियां, जो उसने 13 मार्च, 2024 को भारत आने पर पहनी थीं, सीमा शुल्क विभाग द्वारा जब्त कर ली गईं।

    विभाग ने तर्क दिया कि जब भी कोई विदेशी पर्यटक आभूषण लेकर आता है तो उसे घोषित किया जाना चाहिए।

    दूसरी ओर याचिकाकर्ता ने नाथन नारायणसामी बनाम सीमा शुल्क आयुक्त (2024) का हवाला देते हुए कहा कि विदेशी मूल के पर्यटक के निजी सामान का हिस्सा होने के कारण सीमा शुल्क विभाग द्वारा सोना जब्त नहीं किया जा सकता।

    विभाग ने जवाब दिया कि आभूषण 'निजी सामान' के दायरे से बाहर हैं, जिन्हें अन्यथा सामान नियमों के तहत शुल्क से छूट दी गई।

    हाईकोर्ट ने कहा कि सामान नियमों की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए कि इससे भारतीय या विदेशी मूल के पर्यटक पर अनावश्यक बोझ न पड़े।

    इसने राजस्व खुफिया निदेशालय और अन्य बनाम पुष्पा लेखुमल तोलानी (2017) पर मामले सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर विचार किया कि क्या पर्यटक द्वारा अपने सामान के हिस्से के रूप में ले जाए जा रहे आभूषण सीमा शुल्क अधिनियम या सामान नियमों के तहत तस्करी के रूप में योग्य होंगे। उन्होंने माना कि आभूषणों को 'व्यक्तिगत प्रभावों' के दायरे से पूरी तरह से बाहर करना स्वीकार्य नहीं है। इसी तरह सबा सिमरन बनाम भारत संघ (2024) में दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि "व्यक्तिगत प्रभाव" की अभिव्यक्ति में वे सभी वस्तुएं शामिल होंगी, जो एक आने वाले यात्री द्वारा दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ले जाई जाती हैं। इसमें आभूषण और गहने शामिल हो सकते हैं जो व्यक्तिगत आइटम हैं।

    न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला व्यक्तिगत प्रभाव" शब्द व्यक्तिगत आभूषण या आभूषणों को बाहर नहीं कर सकता। विदाई से पहले न्यायालय ने यह भी देखा कि सोने की चूड़ियों की हिरासत रसीद याचिकाकर्ता को लगभग एक साल पहले जारी की गई। फिर भी आज तक कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया। इस संदर्भ में न्यायालय ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड को बैगेज नियमों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया, जैसा कि न्यायालय ने कमर जहां बनाम भारत संघ (2025) में भी सुझाया था।

    इस बीच न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश पारित किए:

    i. डिटेंशन रसीद में पर्यटक का संपर्क विवरण शामिल होना चाहिए, जिसमें ईमेल पता और मोबाइल/व्हाट्सएप नंबर शामिल हो।

    ii. पर्यटक से हिरासत में लिए गए सोने के आभूषणों की रंगीन तस्वीरें डिटेंशन रसीद के साथ संलग्न की जानी चाहिए।

    iii. उक्त तस्वीरों की प्रति संबंधित पर्यटक को उपलब्ध कराई जानी चाहिए और उसे सीमा शुल्क विभाग के रिकॉर्ड में भी रखा जाना चाहिए।

    केस टाइटल: अंजलि पांडे बनाम भारत संघ और अन्य

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