केवल विवाहेतर संबंध का संदेह आत्महत्या के लिए उकसावे का आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
15 May 2025 12:08 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दहेज मृत्यु के मामले में पति को जमानत देते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि केवल विवाहेतर संबंध का संदेह या वैवाहिक रिश्तों में तनाव, जब तक इसके साथ ठोस और प्रत्यक्ष साक्ष्य न हों, आत्महत्या के लिए उकसावे (IPC की धारा 306) के अपराध के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता।
जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के तहत आरोप तभी बनता है, जब किसी के खिलाफ स्पष्ट रूप से उकसाने, भड़काने या जानबूझकर की गई चूक का प्रमाणित कार्य हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल यह कहना कि पति का किसी अन्य महिला से संबंध था, या दांपत्य जीवन में तनाव था, अपने आप में आत्महत्या के लिए उकसावे जैसा गंभीर आरोप साबित नहीं करता।
कोर्ट ने यह भी दोहराया कि विवाहेतर संबंध को तभी क्रूरता (IPC की धारा 498A) या आत्महत्या के लिए उकसावे (धारा 306) के रूप में देखा जा सकता है, जब यह साबित हो कि उस संबंध को जानबूझकर इस प्रकार आगे बढ़ाया गया, जिससे मृतका को मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो। हर मामले के तथ्य और परिस्थितियां अलग होती हैं। इसी के आधार पर तय किया जाना चाहिए कि अपराध बनता है या नहीं।
इस मामले में मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उसने अपने पति पर एक महिला सहकर्मी से संबंध रखने का आरोप लगाया और जब उसने इसका विरोध किया तो उसके साथ मारपीट की गई।
मृतका के माता-पिता और बहन ने बाद में यह भी बताया कि मृतका को दहेज के रूप में कार की किश्तों के लिए पैसे लाने को कहा जाता था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मृतका या उसके परिवार द्वारा उसके जीवनकाल में कभी भी ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई, जिससे इन आरोपों की तत्कालिकता और गंभीरता पर संदेह पैदा होता है।
कोर्ट ने यह भी पाया कि मृतका को आत्महत्या के लिए विवश करने के कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हैं। प्रथम दृष्टया ऐसा कोई कार्य सामने नहीं आया, जो आरोपी को इस अपराध से जोड़ सके।
आरोपी मार्च, 2024 से हिरासत में है, जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल हो गई। अब मामला ट्रायल के चरण में है, जो जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा।
कोर्ट ने माना कि आरोपी के भागने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं है। ऐसे में उसकी लगातार हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं बनता।
कोर्ट ने आरोपी को जमानत प्रदान करते हुए याचिका स्वीकार कर ली।
केस टाइटल: Anshul बनाम State

