ऑर्गन ट्रांसप्लांट दस्तावेजों में कमियों के बारे में दाता या प्राप्तकर्ता को व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से सूचित करें: दिल्ली हाइकोर्ट

Amir Ahmad

22 May 2024 7:15 AM GMT

  • ऑर्गन ट्रांसप्लांट दस्तावेजों में कमियों के बारे में दाता या प्राप्तकर्ता को व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से सूचित करें: दिल्ली हाइकोर्ट

    दिल्ली हाइकोर्ट ने आदेश दिया कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेजों में कमियों के बारे में दाता या प्राप्तकर्ता को व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से सूचित किया जाना चाहिए।

    जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा,

    "यह आगे स्पष्ट किया जाता है कि जब भी दाता या प्राप्तकर्ता को दस्तावेजों में कमियों या किसी भी प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के बारे में कॉम्युनिकेशन देने की आवश्यकता होती है तो उक्त दाता या प्राप्तकर्ता या उनके किसी भी करीबी रिश्तेदार को ईमेल या मोबाइल नंबर पर व्हाट्सएप के माध्यम से कॉम्युनिकेशन भेजा जाना चाहिए यह सुनिश्चित करते हुए कि कॉम्युनिकेशन का सबूत है।"

    अदालत 2020 में किडनी रोगी द्वारा दायर की गई याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने अंग दान की मांग की थी और अपने किडनी ट्रांसप्लांट पर निर्णय लेने में सर गंगा राम अस्पताल की अनिर्णयता और देरी को चुनौती दी थी। मार्च-अप्रैल, 2021 में उनका निधन हो गया।

    इस वर्ष की शुरुआत में न्यायालय ने मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 (Transplantation of Human Organs and Tissues Act 1994) के प्रावधानों पर विचार किया था तथा निर्देश दिया कि ट्रांसप्लांट के लिए रोगियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के समयबद्ध निपटान के लिए उचित समयसीमा तय की जानी चाहिए।

    न्यायालय ने कहा कि प्राधिकरण समिति द्वारा उठाए गए लगभग सभी कदमों के लिए अब विशिष्ट समयसीमा तय कर दी गई।

    न्यायालय ने कहा,

    "इस संशोधन के साथ 3 मई, 2024 के संचार में निहित समयसीमा को सभी प्राधिकरण समितियों द्वारा लागू किया जाना चाहिए, जो मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत कार्य करती हैं।"

    इसने आदेश दिया कि समयसीमा के साथ-साथ नवीनतम आदेश का पर्याप्त प्रचार किया जाए, जिससे अस्पतालों और सरकारी अधिकारियों सहित सभी संबंधित हितधारकों द्वारा उचित अनुपालन किया जा सके।

    04 जनवरी के अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि अंग ट्रांसप्लांट प्रोटोकॉल की अखंडता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए समयबद्ध दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार को भी आगे बढ़ाएगा।

    केस टाइटल - अमर सिंह भाटिया और अन्य बनाम सर गंगा राम अस्पताल और अन्य।

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