Waqf Board Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने अमानतुल्ला खान की रिहाई के खिलाफ ED की याचिका पर नोटिस जारी किया

Amir Ahmad

13 Feb 2025 7:16 AM

  • Waqf Board Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने अमानतुल्ला खान की रिहाई के खिलाफ ED की याचिका पर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्ला खान को उनके अध्यक्ष पद के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड में भर्ती में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले में अपेक्षित मंजूरी के अभाव में रिहा किया गया था।

    जस्टिस विकास महाजन ने खान और उनकी पत्नी से जवाब मांगा- जिन्हें निचली अदालत ने इस आधार पर तलब नहीं किया कि ED की पूरक अभियोजन शिकायत में अपराध की आय से जुड़ी किसी भी गतिविधि में उनकी संलिप्तता को दर्शाने वाले ठोस सबूतों का अभाव था।

    जस्टिस महाजन ने स्पेशल जज को धन शोधन मामले में अन्य आरोपियों के संबंध में निचली अदालत की कार्यवाही 21 मार्च के बाद की तारीख तक स्थगित करने का भी निर्देश दिया, जब ED की याचिका अगली बार हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध होगी।

    ऐसा तब हुआ जब ED की ओर से पेश विशेष वकील जोहेब हुसैन ने आग्रह किया कि स्पेशल जज ने खान और उनकी पत्नी के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार किया लेकिन अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। इसलिए उन्होंने आग्रह किया कि अन्य आरोपियों के मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को हाईकोर्ट के समक्ष तय तिथि के बाद की तिथि तक के लिए टाल दिया जाए।

    न्यायालय ने कहा,

    "ED द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए ट्रायल कोर्ट या स्पेशल जज को निर्देश दिया जाता है कि वे इस न्यायालय के समक्ष तय तिथि के बाद की तिथि तक ट्रायल कार्यवाही को स्थगित करें। 21 मार्च को सूचीबद्ध करें।"

    ED ने इस आदेश को इस हद तक चुनौती दी कि वह मंजूरी के अभाव में मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के लिए खान के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार करता है। ED की दूसरी चुनौती इस आधार के बारे में है कि खान के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार करते हुए स्पेशल जज ने राय दी कि CrPC की धारा 197 के तहत मंजूरी के अभाव में खान की हिरासत अवैध होगी। उसे रिहा करने का निर्देश दिया।

    ED ने इस आधार पर भी विवादित आदेश को चुनौती दी है कि स्पेशल जज ने खान की पत्नी के खिलाफ इस आधार पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया कि पूरक अभियोजन शिकायत यह दिखाने में विफल रही कि उसके पास अनुसूचित अपराध के लिए मानसिक कारण था।

    हुसैन ने प्रस्तुत किया कि खान द्वारा किया गया। मनी लॉन्ड्रिंग का कथित अपराध उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में नहीं था। इसलिए इस मामले में मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने प्रस्तुत किया कि खान दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। उनके खिलाफ आरोप अवैध रूप से वक्फ संपत्तियों को पट्टे पर देने और रिश्वत के बदले अवैध नियुक्तियों और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने से संबंधित थे, जिसे उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में नहीं कहा जा सकता।

    उन्होंने आगे प्रस्तुत किया कि पूरक अभियोजन शिकायत दायर करने से पहले ED ने पहले मुख्य शिकायत दर्ज की, जिस पर ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पूरक अभियोजन शिकायत दाखिल करने पर स्पेशल जज को खान और उनकी पत्नी को समन जारी करना चाहिए, क्योंकि अपराध का संज्ञान लिया जाना था, अपराधी का नहीं।

    इसके अलावा हुसैन ने कहा कि ED को मंजूरी की कमी के पहलू पर तर्क देने का अवसर नहीं दिया गया। स्पेशल जज यह समझने में विफल रहे कि यह मंजूरी की पूर्ण अनुपस्थिति का मामला नहीं था।

    उन्होंने कहा कि अगर ED को अवसर दिया गया होता तो वह स्पेशल जज के समक्ष मंजूरी पेश करता।

    पिछले साल नवंबर में ट्रायल कोर्ट ने CrPC की धारा 197 (1) के तहत अपेक्षित मंजूरी की कमी के कारण PMLA के तहत खान के खिलाफ ED की पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।

    जज ने कहा था कि खान के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी या सरकार से कोई मंजूरी रिकॉर्ड में नहीं रखी गई।

    मामले में आरोप लगाया गया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए अमानतुल्लाह खान ने नियमों और सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कई लोगों की अवैध भर्ती की। ED ने आरोप लगाया कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की अवैध भर्ती से भारी मात्रा में नकदी अर्जित की और अपने सहयोगियों के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने में इसका निवेश किया।

    केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उनके आवास पर तलाशी लेने के बाद ED ने 2 सितंबर को खान को गिरफ्तार किया था। 11 मार्च को समन्वय पीठ ने खान को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। बाद में 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    केस टाइटल: ED बनाम अमानतुल्लाह खान

    Next Story